इस ब्लॉग में परमात्मा को विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में एक अद्वितीय, अनन्त, और सर्वशक्तिमान शक्ति के रूप में समझा जाता है, जो सृष्टि का कारण है और सब कुछ में निवास करता है। जीवन इस परमात्मा की अद्वितीयता का अंश माना जाता है और इसका उद्देश्य आत्मा को परमात्मा के साथ मिलन है, जिसे 'मोक्ष' या 'निर्वाण' कहा जाता है। हमारे जीवन में ज्यादा से ज्यादा प्रभु भक्ति आ सके और हम सत्संग के द्वारा अपने प्रभु की कृपा को पा सके। हमारे जीवन में आ रही निराशा को दूर कर सकें।
यह ब्लॉग खोजें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Featured Post
रवि पंचक जाके नहीं , ताहि चतुर्थी नाहिं। का अर्थ
गोस्वामी तुलसीदासजी ने एक बड़े मजे की बात कही है - कृपया बहुत ध्यान से पढ़े एवं इन लाइनों का भावार्थ समझने की कोशिश करे- " रवि पंचक जा...
Sadgurunath maharaj ki jay
जवाब देंहटाएं