> परमात्मा और जीवन"ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: आरती: सुखकर्ता दुखहर्ता (मराठी) हिन्दी में अर्थ के साथ

यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 12 अगस्त 2025

आरती: सुखकर्ता दुखहर्ता (मराठी) हिन्दी में अर्थ के साथ

आरती: सुखकर्ता दुखहर्ता (मराठी) हिन्दी में अर्थ के साथ


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदूराची
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची ॥१॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥धृ॥

रत्नखचित फरा तुझे मस्तक शोभे
सुंदर दोन डोळा सुरवंटाचे लोभे
वीसावा तुझा वंदन करितो लोळे
संपत्तीचा भांडार तूचि रे ॥२॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥धृ॥

कर्णीकर्णिके मुकुट शोभतो भारी
तारक हार वागे गरगर भारी
पद्मासना वर बसलासवारी
चरणी लोटांगण वंदितो आम्ही ॥३॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥धृ॥


हिंदी अर्थ

पहला पद:
जो सुख देने वाले और दुख दूर करने वाले हैं, विघ्नों की सारी बातें मिटा देते हैं,
जो प्रेम और कृपा से सबकी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं।
जिनका संपूर्ण शरीर सुंदर है, जिन पर लाल चंदन (सिंदूर) का उटी लगी है,
गले में मोतियों की माला शोभा देती है।

ध्रुव पंक्ति:
जय हो, जय हो, हे मंगलमूर्ति गणेशजी!
आपके दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

दूसरा पद:
रत्न जड़े हुए मुकुट आपके मस्तक पर शोभा पाते हैं,
आपकी सुंदर दो आंखें मोरपंख के समान आकर्षक हैं।
जो आपकी शरण आते हैं, उन्हें विश्राम और सुख मिलता है।
आप संपत्ति और समृद्धि का भंडार हैं।

तीसरा पद:
आपके कानों में सुंदर झुमके और सिर पर शोभायमान मुकुट है,
गले में तारों से बनी माला है जो अद्भुत है।
आप कमलासन पर विराजमान हैं,
हम आपके चरणों में लोट कर वंदना करते हैं।

।।गणपति बप्पा मोरया ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

लघु गीता अध्याय 4

                          लघु गीता अध्याय 4 भगवान कृष्ण ने कहा कि कई बार मैंने धर्म स्थापना हेतु और पापियों के नाश करने के लिए जन्म लिए, ताक...