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बुधवार, 2 सितंबर 2015

आज का शुभ विचार

        




यदि आप हिम्मत का पहला कदम आगे बढ़ाएंगे , तो परमात्मा की सम्पूर्ण मदद मिल जायेगी।

सोमवार, 31 अगस्त 2015

आज का शुभ विचार

                                                                                    आज का शुभ विचार



प रमात्मा गुणों के सागर हैं । यदि आप किसी विकार की अग्नि में जल रहे हैं ,तो उस  सागर में डुबकी लगाइये ।


                                                                           ।।         ॐ गणपतये नमः ।।

बुधवार, 5 अगस्त 2015

शुभ नहीं अशुभ कार्यों को टालते रहो

संस्कृत में एक सुक्ति हैं कि 'शुभस्य शीघ्रम् ,अशुभस्य  कलहरणम 'अथार्त्त  शुभ कार्य को जितना जल्दी हो सके कर डाले , लकिन अशुभ कार्य  को टालते रहे ।यदि हम तत्क्षण किसी की मदद करने के लिए आगे आ जाते हैं तो उसकी मदद हो जाती हैं और एक नेक काम भी ,लकिन वह क्षण बीत गया तो सम्भव हैं हम उस अच्छे कार्य को करने के लिए जीवित ही न रहे अथवा हमारे विचार ही बदल जाये।बहुत सारी बातें हो सकती हैं ,लकिन इतना निश्चित हैं कि यदि हम उस क्षण को चूक गए तो हम किसी नेक काम करने से वंचित रह जायेगे।हमने अपने जीवन में कई बार यह महसूस किया होगा की अक्सर अच्छे कार्य को करने का हम अवसर चूक जातें हैं।तो ठीक ही कहा हैं कि शुभस्य शीघ्रम् अथार्त् शुभ कार्य अथवा अच्छे कार्य को शीघ्र कर लेना चाहिए ।
अशुभस्य  कालहरणम् अथार्त्  अशुभ अथवा पाप कर्म के लिए शीघ्रता न करें ।अपितु समय निकल जाने दे ।सम्भव  हैं कालान्तर में कहीं से सदबुद्धि मिल जाये  और हम पाप कर्म करने से बच जाएँ ।आज इस विश्व में ऐसे अणु परमाणु बम मौजूद हैंकि  पूरी धरती नष्ट हो जाये पर कुछ लोगो की सदबुद्धि  की वजह से हम सब जीवित हैं । वेदव्यास जी ने कहा हैं कि परोपकारःपुण्याय ,पापाय परपीडनम्  अथार्त दुसरो की सहायता करना ,परोपकार करना ही सबसे बड़ा धर्म हैं ।और दुसरो को कष्ट पहुँचाना ही अधर्म हैं चाहे वो मानसिक पीड़ा हो अथवा शारीरिक ।इस सन्दर्भ में महाभारत की दो कथा प्रचिलित हैं एक महऋषि गौतम के पुत्र चिरकारी की ,जिन्हे धीरे धीरे कार्य करने की आदत थी जिस वजह से उन्होंने अपने पिता की आज्ञा के बावजूद भी अपनी माँ को नहीं मारा ,और दूसरी गौतम ऋषि को अपनी  पत्नी पर क्रोध आया और उन्होंने बिना विचार किये अपने पुत्र को आज्ञा दे दी कि वह अपनी इस दुष्कर्म माता को मार दे ।चिरकारी के धीरे कार्य करने की वजह से व गौतम ऋषि को सदबुद्धि आ जाने के कारण एक बड़ा पाप होने से बच गया ।

इसी कारण कहा गया हैं कि शुभ कार्य को जल्दी कर लेना श्रेयस्कर होता हैं व अशुभ कार्य को टालने में ही भलाई होती हैं ।अतः जीवन में इस नीति का पालन जरूर करना चाहिए ।
जय श्री राधे ।
(कल्याण पत्रिका के सौजन्य से )

मंगलवार, 21 जुलाई 2015

व्यक्ति के व्यक्तित्व के प्रकार (type of personailty )

     व्यक्ति में 6 प्रकार का व्यक्तित्व होता हैं ।



व्यक्तित्व षड्मुखी होता हैँ -अथार्त व्यक्ति की विचार धारा ६ प्रकार की होती हैं -

१ -शास्त्रमुखी -जिस के अंतर्गत व्यक्ति शास्त्र के अनुसार ही कार्य करता हैं वह यह ध्यान रखता हैं कि शास्त्र में क्या उचित हैं ,क्या अनुचित।

२ -गुरु मुखी-व्यक्ति गुरु के आधार पर ही कार्य करता हैं ।जो गुरु ने कह दिया उसी आज्ञा का पालन करता हैं।

३ -राजमुखी -इसमें व्यक्ति वाही कार्य करता हैं जो राजा कहे अथवा सत्ता कहे ।जिससे राजा खुश रहे।

४ -स्वमुखी -व्यक्ति अपनी चेतना से कार्य करता हैं।जो चेतना गुरु ने जगा दी ,उसी के अनुसार गुरु व शास्त्र को ध्यान में रखकर कार्य करता हैं ।

५ -मनमुखी -जो मन में आयेगा वही कार्य करेगा ।वह न गुरु की परवाह करता हैं न शास्त्र की।जो उसकी मर्जी होती हैं वही कार्य करता हैं।

६ -गोमुखी -व्यक्ति हमेशा स्मरण करता रहता हैं और कार्य  करता रहता हैं।निरन्तर स्मरणशील रहता हैं।

                            जय श्री राधे !

आज का शुभ विचार

                                                आज का शुभ विचार                                  





भागवत कथा सुनने से चार लाभ होते हैं -

१-तृप्ति ,अथार्त् कुछ और न पाने की लालसा ।

 २ -अपने प्रभु से प्रेम  ।

३ -निष्काम भावना  ।

४ -भक्त प्रेम अथार्त् जितने भी प्रभु भक्त हैं उन सबसे विशेष प्रेम ।

बुधवार, 27 मई 2015

आज का शुभ विचार

आदमी के मन को तीन चीजें कमज़ोर कर देती हैं-
1-व्यर्थ के वाद -विवाद
2-ग़लत राह पर चलना
3-ग़लत स्मृति (व्यर्थ की बातों को याद करना ।

मंगलवार, 26 मई 2015

आज का शुभ विचार

संत ,सदगुरु गण्डकी नदी की तरह होते हैं ,जिसमे पड़ा हुआ तेड़े से तेड़ा पत्थर भी घिस घिसकर शालिग्राम हो जाता हैं और पूजनीय बन जात

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