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मंगलवार, 24 सितंबर 2024

भाई जी के प्रवचन

 भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी के अंतिम प्रवचन मैं आपके साथ प्रतिदिन साझा करता हूं, अगर हम अपने जीवन में आग्रह करें तो निश्चित रूप से हमारे जीवन में अमूल्य परिवर्तन हो जाएगा।



                              श्री राधे 

भिक्षु भगवान में सच्चा विश्वास हो जाएगा, उसी के साथ उनका विवाह दुर्बलता दूर हो जाएगा, तुम्हारा भय भाग जाएगा और विपरीत विचारधारा वाले मन के आदर्श हो जाएंगे।


सोमवार, 2 सितंबर 2024

राम नाम की महिमा

                         राम नाम की महिमा 


‘रा=राक्षसानां मरणं यस्मात्। ’ ‘र’ का अर्थ है राक्षसगण ‘म’ का अर्थ है मकार का मरण। काम, क्रोध, मान, मद् आदि राक्षस जिससे मरते हैं वह है राम नाम। श्री कबीर के शिष्य श्री पद्मनाभ ने श्री राम नाम से कुष्ठी को निरोग किया। कबीर ने कहा कि गुरुदेव कृपा से नाम का इतना ही महत्व नहीं है, यह बंधन तो नाम के आभास से ही कट जाता है। रा का उच्चारण करने से पाप बाहर निकल जाते हैं। फिर मा का उच्चारण करने पर कपाट बंद हो जाता है। फिर मुख के बंद होने पर पाप प्रवेश नहीं कर पाते हैं अतः हरे राम महामंत्र विधि, अविधि जैसे भी जपा जाए कलयुग में विशेष फलप्रद है।

जैसे अनजाने में स्पर्श किया गया अग्नि भी जला देता है ऐसे ही हरि वह नाम है जो सभी के पाप तापों को करते हैं। 

एक व्यक्ति वृंदावनजा रहा था दूसरे ने पैसे देकर कहां मेरे लिए एक तुलसी की माला लेते आना। अभी माला आई नहीं नाम -जाप हुआ नहीं ,परंतु केवल नाम जप करने का विचार मात्र किया था इतने से ही यमराज ने कहा अरे चित्रगुप्त ! माला मंगाने वाले के खाते को खत्म कर दो। महाराज उसे तो बहुत कर्मों के फल भोगने हैं। यमराज ने कहा नहीं–नहीं, अब वह नाम जप करने के लिए उत्सुक है। उसके ऊपर कृपा हो गई है उसे जीव के कर्म बंधन समाप्त हो जाए यही नाम का आभास है।

।।जय श्री राधे।।


भगवान की प्राप्ति का उपाय

                  भगवान की प्राप्ति का उपाय





‘रामो विग्रहवान धर्मः।’श्री राम धर्म की मूर्ति हैं। 

‘श्री राम जय राम जय जय राम’ यह भगवन्न नाम हैं और वैदिक मंत्र भी है। कम से कम 22 बार जप करने वाला धन्य है। राम नाम से बढ़कर कोई नाम नहीं है।इसका जप करने वाला भक्ति मुक्ति आदि अभीष्ट पदार्थ पाता है। भगवत्त प्राप्ति का उपाय क्या है यह जीव नही जानता, भगवान अपने आप ही बताते हैं।सदा जप, तप ,अनुष्ठान में निमग्न रहकर विश्व कल्याण की मांग करनी चाहिए।

मन में नाम लेने से मुक्ति प्राप्त होती है और वाणी द्वारा उच्च स्वर से कीर्तन करने वाले को भक्ति प्राप्त होती है। उच्चस्वर से

किया गया कीर्तन अपने तथा दूसरों के भी कानों को पवित्र कर देता है। अतः भक्तजन गौरांग प्रभु आदि ने उच्च स्वर से कीर्तन करने को श्रेष्ठ बताया है।

इसलिए ऊंचे स्वर से कीर्तन करने से भगवत प्राप्ति होती है।

रविवार, 1 सितंबर 2024

कलयुग के कोप से कैसे बचें?

                    कलयुग के कोप से कैसे बचें ?


कलिकाल में भगवान के नाम की तरह गुरुदेव का नाम, भक्तों का नाम जपना भी मंगलकारी है। नाम की महिमा सदा थी और आगे भी रहेगी,पर कलयुग में विशेष महत्व हैं। भगवान का नाम, और भगवान आप सभी का मंगल करें। गुरुत्व का बोध हो।

जो लोग कलियुग की निंदा करते हैं और उन दोषों को अपने में रखकर दोष कलियुग को देते हैं ,वे कलियुग के दोषों से बच नहीं सकते।

भगवान के नाम, रूप, लीला, धाम सभी मंगलकारी हैं। जंहा- जहां जो-जो लोग भगवान के आश्रय स्थल हैं वहां मंगल कल्याण की प्राप्ति होती है।

अतः कलयुग के कोप से बचने का एकमात्र उपाय है जितना हो सके भगवान के नाम का जाप करो।मन में करो चाहे उच्च स्वर में करो।

दादा गुरु भक्तमाली के श्री मुख से परमार्थ के पत्र पुष्प में से 

।।जय श्री राधे।।

बुधवार, 14 अगस्त 2024

इंसान को चिंता से मुक्ति कैसे मिले?

                  इंसान को चिंता से मुक्ति कैसे मिले? 

मन का कार्य मनन करना, चिंतन करना वह बिना मनन चिंतन के एक पल भी नहीं रह सकता और इसको चिंतन मनन करने का अभ्यास है। तो इसको चिंतन मनन कराओ लेकिन असत नहीं सत् । जो आनंद की उत्पत्ति होती है वह भगवान के नाम में, भगवान के लीला गायन में मन को लगाओ। इसीलिए हम कहते हैं कि हर समय राधा राधा राधा नाम जपो,अगर इसको खाली छोड़ दिया अगर इसको काम में नहीं लगाया तो यह पटक देगा, यह एक भूत जैसा है। एक आदमी ने भूत सिद्ध किया अपने गुर के द्वारा दिए गए मंत्र से, भूत सिद्ध हो गया अब वह पीछे पड़ गया कि मुझे काम दो, अगर खाली छोड़ दिया तो मैं आपको मार दूंगा। अब आदमी परेशान हो गया कि मैं उसको जो भी काम देता हूं वह झट से पूरा कर देता है।अब आदमी अपने गुरु के पास गया की गुरुदेव मैं इसे कोई काम नहीं दूंगा तो यह मुझे मार देगा। तो गुरु ने एक डंडा दिया और कहां इस जमीन में गाढ़ दो,और उसको बोलो जब तक मैं कोई काम नहीं देता तुम इसके ऊपर नीचे चक्कर लगाओ, जब कोई कार्य होगा तो हम बता देंगे। नहीं तो तब तक तुम इस डंडे पर चढ़ उतर, जब कोई काम होगा तो बता देंगे। ऐसे ही मन को भूत समझो यह पटक देगा अगर इसे खाली छोड़ दिया, इसलिए इसे हर समय नाम सिमरन में लगाकर रखो जो भी नाम आपको पसंद हो। देखो पटक दिया कितनी जेले भरी पड़ी है। समस्त शोकों का धाम कामना है। इनका जब तक त्याग नहीं होगा तब तक मन को विश्राम नहीं और इनका त्याग होता है नाम जप से। जो भी नाम प्रिय हो राधा नाम, राम नाम, शिव नाम जो भी प्रिय हो उसका जप करो, मन आनंदित हो जाएगा। बचपन से लेकर जितनी आयु आपकी है तब तक आपने जो भी चाहा वह अपने भोग पर आपको कभी तृप्ति नहीं मिली और वैसे ही सभी कामनाएं सभी वैसे की वैसी ही और इसी तरीके से पूरा जीवन चला जाए, तो सोचो कितने घाटे की बात है की इतना बढ़िया जीवन और हमारी कमाई कुछ भी नहीं है। जीवन की असली कमाई ईश्वर की प्राप्ति में है। इसलिए अभी भी समय है असली आनंद उठाओ और जो भी नाम प्रिय हो, उसका हर समय जप करो।

प्रेमानंद जी महाराज जी के श्री मुख से🙂

शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

क्या आप धाम में वास चाहते हैं पर-----

  जिनका धाम के प्रति प्रेम है जिन्हें धाम की आशा है वह बाहर-------



जिनका धाम के प्रति प्रेम है जिन्हें धाम की आशा है वह बाहर रहकर भी धाम के प्रेमी,धाम के वासी हैं। मंदिरों के ध्यान स्मरण से धमवास का फल मिलता हैं। श्रीधाम का स्मरण करके श्री बिहारी जी को, श्री राधाबल्लभ को, श्री गोपेश्वर जी को, यमुना जी को नमस्कार करने से वृंदावन वास का लाभ मिलेगा। भगवान का धाम सबको अपनी और नित्य आकर्षित करता है। जो भी दर्शनार्थ आते हैं उनके मन में यही होता है कि मुझे यहां निवास मिल जाए तो उत्तम है। श्री धाम का दर्शन करके यहां के मंदिरों का श्री विग्रह का, तीर्थ का, धाम के संतों का यथा समय सांय प्रातः स्मरण ध्यान करने से तीर्थवास का फल प्राप्त होता है। सब प्रकार से धाम में आनंद है जो सन्मार्ग में है वह श्री धाम में है। जो कृष्ण सेवा चिंतन में निमग्न है वह धाम में है। नाम जापी सदा धाम में है। श्री कृष्ण शरणम ममः इस शरणागति मंत्र का सदा स्मरण करने वाला धाम में है। जो कुमार्ग में है वह धाम से बाहर है। विषयाक्त माया मोहित मनुष्य संसार में है। धाम में बुद्धि नहीं रमी है तो धाम में रहकर भी धाम में नहीं है। कृष्ण विमुख धाम से बाहर है। 

दादा गुरु भक्त माली श्री गणेशदास जी महाराज के श्री मुख से, परमार्थ के पत्र पुष्प में से लिया गया

गुरुवार, 1 अगस्त 2024

हम सभी का कल्याण इस बात में हैं कि ----

             हम सभी का कल्याण इस बात में हैं कि ----


हम लोगों का कल्याण इस बात में है कि हम संत भगवान की कृपा से हम निरंतर भगवान का स्मरण करें, उन्हें कभी ना भूले। गीता अध्याय 8 शलोक 14 में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन जो अनन्य भाव से लगातार मेरा स्मरण करता है मैं ऐसे योगी के लिए सुलभ हूं, भगवान के इस वाक्य पर जिसे विश्वास है वह सर्वत्र अपने प्रभु को मानता है। जागृत अवस्था में स्मरण संभव है, परंतु सोते समय स्मरण असंभव है, जागते हुए जो कार्य किया जाता है। प्राय: वही स्वप्न में दिखाई देता है। सोने के पहले स्मरण करते-करते सोना और जाकर स्मरण करना, इसके बीच का सोने का समय भी स्मरण में माना जाएगा। जीव के सच्चे सगे संबंधी भगवान ही हैं ईश्वर दयालू है कभी भी जीवो पर कुपित नहीं होते हैं।  जैसे गर्भ के समय बालक माता के पेट में हाथ पैर चलाता है माता को कष्ट होता है परंतु माता उस बालक पर कुपित नहीं होती है, इसी प्रकार प्रभु भी आस्तिक नास्तिक सभी जीवो के साथ रहते हैं। नरक में भी साथ नहीं छोड़ते हैं अंतर्यामी रूप से प्रभु सर्वत्र जीव के साथ रहते हैं अगर बालक कुएं में गिर पड़े तो उसकी माता जोर-जोर से रोकर पुकार करेगी लोगों से कहेगी कि बालक को कुएं से निकालो पर स्वय नहीं कूदेगी।भगवान ऐसे दयालु हैं कि अघासुर अजगर के मुख में जब सब ग्वाल बाल घुस गए तो भगवान उनकी रक्षा के लिए स्वयं भी अघासुर के मुंह में प्रविष्ट हो गए, ऐसे दयालु प्रभु आप सबों का सर्वदा मंगल करें।

 जय श्री राम जय घनश्याम 

दादा गुरु श्री गणेश दास जी भक्तमाली जी महाराज जी के श्री मुख से।

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