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गुरुवार, 19 सितंबर 2013

low ब्लड प्रेशर के घरेलू उपाय

ghrelu nuskhe

low b.p.


३२ किशमिश किसी चीनी के कप में २४० ग्राम पानी में भिगो दें। बारह घण्टे भीगने के बाद प्रातः एक-एक किशमिश को उठाकर खूब चबा-चबाकर (प्रत्येक किशमिश को बत्तीस बार चबाकर) खाने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है। पूर्ण लाभ के लिये बत्तीस दिन खायें। एक महीना लगातार लेने से फायदा होता है

या निम्न रक्तचाप या हृदय-दुर्बलता के कारण मुर्छित हो जाने पर हरे आँवलों का रस और शहद बराबर-बराबर दो-दो चम्मच मिलाकर चटाने से होश आ जाता है और ह्रदय की कमजोरी दूर हो जाती है।

subhashit vichar(shubh vichar/auspicious 



स्वार्थ और अभिमान का त्याग करने से साधुता आती हैं। 




kalyan



जिस काम को करने से किसी की आत्मा को दुःख पहुचे ,उस काम को कभी नहीं करना चाहिए। इसमें आपको परिश्रम करने का काम नहीं हैं। बल्कि इसमें आपके परिश्रम करने का त्याग हो जाता हैं। जिसका चित्त अशांत हैं ,सदा क्षुब्ध हैं ,वह चाहे किसी भी ऊँची-से-ऊँची स्थिति में हो ,कभी सुखी नहीं हो सकता। मरते समय अंतिम साँस तक उसका चित्त अशांत रहता हैं ,और यह अशांति तब तक नहीं मिट सकती ,जब तक मन में भोगो की -पदार्थो की कामना हैं। 

बुधवार, 18 सितंबर 2013

आज का शुभ विचार 

मनुष्य अपने स्वभाव को निर्दोष ,शुद्ध बनाने में सर्वथा स्वतंत्र हैं। 






श्रोता -जब ध्यान करने बैठते हैं ,तब काम -सम्बन्धी विचार बहुत पैदा होते हैं। क्या उपाय करे ?


स्वामीजी -पैदा नहीं होते हैं। जब भगवान का ध्यान करते हैं ,तब भीतर जो कई तरह के भाव भरे हुएं हैं ,वे बाहर निकलते हैं नष्ट होने के लिए। मनुष्य समझता हैं कि नए भाव आते हैं ,पर वास्तव मे पुराने भाव नष्ट होते हैं। उनको खुला निकलने दो ,रोको मत। दो-चार दिन में ,एक -दो महीने में निकल जाएगा। जितना खुला छोड़ो गे ,उतना अंत:करण साफ हो जाएगा। दरवाजे पर आदमी आता हुआ भी दिखता हैं ओर जाता हुआ भी दीखता हैं। इसलिए भाव आया हैं ,यह मत मानो। वह जा रहा हैं। भगवान का ध्यान ,चिन्तन आपके अन्त :करण को साफ़ क्र रहा हैं। इसलिए प्रसन्न होना चाहिए ,घबराना नहीं चाहिए। 




बुधवार, 4 सितंबर 2013

subhashit vichar(shubh vichar/auspicious views


आज का शुभ विचार




मुस्कुराना ,सन्तुष्टता की निशानी हैं इसलिए सदा मुस्कराते रहो। 
कल्याण 






वाणी का सयंम करने का एक ही उपाय हैं -भगवन्नाम -जप स्वाध्याय को वाणी का विषय बना लेना। जीभ के लिए भगवान के नाम का जप ही एकमात्र काम रह जाए ,दुसरे किसी भी काम के लिए उसमे से समय न निकालना पड़े। जो व्यक्ति इस प्रकार का जीवन बना लेता हैं ,वह जंहा रहता हैं ,वहीँ उसके द्वारा जगत को एक बहुत बरी चीज अपनाप अनायास ही मिलती रहती हैं। 
जीभ स्थूल अंग हैं ;कर्मेन्द्रिय हैं ,पर यदि यह भगवान के नाम के साथ लगी रहती हैं तो यह जीवन को उत्तम स्तर पर खींच ले जाती हैं। फिर तो जीवन के अंत में भगवान का नाम मुख से आया कि काम बना। 
भगवान के नाम - जप का अभ्यास होने के बाद मन से सोचते और हाथ से काम करते रहने पर भी अभ्यासवश जीभ से नाम अपने आप निकलता रहेंगा। सारे शास्त्रों के  सत्संग का फल भी तो यही हैं कि भगवान के नाम में रूचि हो जाए। 

subhashit vichar(shubh vichar/auspicious views)










जॆसे हमारे विचार होते हैं वेसी ही हमारी शारीरिक स्थिति होती हैं हम चाहें कि दोनों एक दुसरे के विपरीत हो यह असम्भव हैं। 

मंगलवार, 3 सितंबर 2013

vicharo ki ladai hain mahabharat

विचारों की लड़ाई है महाभारत 




महाभारत का युद्ध कहीं बाहर नहीं, हमारे मन में ही चलता है। मन में अच्छे और बुरे विचारों की लड़ाई ही महाभारत है। यहां हमारा मन अर्जुन है और विवेक रूपी चेतना कृष्ण।

युद्ध के दौरान जब अर्जुन ने अपने सभी सगे-संबंधियों, गुरुओं आदि को सामने देखते हैं, तो उनके मन में मोह पैदा हो जाता है। उन्हें लगता है कि ये सब तो मेरे अपने है, मैं इनको कैसे मार सकता हूं! इससे तो अच्छा है कि मैं युद्ध ही न करूं। ऐसी बातें सोच कर दुखी अर्जुन भगवान कृष्ण की शरण में बैठ गए। तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। कहा :


क्लैब्य मा स्म गम: पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते!
क्षुदं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोतिष्ठ परन्तप !!


यानी हे अर्जुन, जड़ मत बनो। यह तुम्हारे चरित्र के अनुरूप नहीं है। हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागकर युद्ध के लिए खड़े हो जाओ।

कई बार व्यक्ति को किसी काम को करने से उसका दुर्बल मन डराता है। इस वजह से वह आगे नहीं बढ़ पाता। लेकिन याद रखना चाहिए कि जीवन में तरक्की दुर्बलता से नहीं, बल्कि मजबूत इरादों से मिलती है। दिनचर्या के हर काम को युद्ध की तरह समझना चाहिए और उसको उत्साह के साथ पूरा करना चाहिए। मन को कभी कमजोर नहीं पड़ने देना चाहिए। मन डराएगा, लेकिन हमें डरना नहीं है। जीवन आगे बढ़ने के लिए है, डर कर या निराश होकर बैठ जाने के लिए नहीं।

सुरक्षित गोस्वामी आध्यात्मिक गुरु 

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