
इस ब्लॉग में परमात्मा को विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में एक अद्वितीय, अनन्त, और सर्वशक्तिमान शक्ति के रूप में समझा जाता है, जो सृष्टि का कारण है और सब कुछ में निवास करता है। जीवन इस परमात्मा की अद्वितीयता का अंश माना जाता है और इसका उद्देश्य आत्मा को परमात्मा के साथ मिलन है, जिसे 'मोक्ष' या 'निर्वाण' कहा जाता है। हमारे जीवन में ज्यादा से ज्यादा प्रभु भक्ति आ सके और हम सत्संग के द्वारा अपने प्रभु की कृपा को पा सके। हमारे जीवन में आ रही निराशा को दूर कर सकें।
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सोमवार, 25 नवंबर 2013
गुरुवार, 19 सितंबर 2013
low ब्लड प्रेशर के घरेलू उपाय
ghrelu nuskhe
low b.p.
३२ किशमिश किसी चीनी के कप में २४० ग्राम पानी में भिगो दें। बारह घण्टे भीगने के बाद प्रातः एक-एक किशमिश को उठाकर खूब चबा-चबाकर (प्रत्येक किशमिश को बत्तीस बार चबाकर) खाने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है। पूर्ण लाभ के लिये बत्तीस दिन खायें। एक महीना लगातार लेने से फायदा होता है
या निम्न रक्तचाप या हृदय-दुर्बलता के कारण मुर्छित हो जाने पर हरे आँवलों का रस और शहद बराबर-बराबर दो-दो चम्मच मिलाकर चटाने से होश आ जाता है और ह्रदय की कमजोरी दूर हो जाती है।
subhashit vichar(shubh vichar/auspicious
स्वार्थ और अभिमान का त्याग करने से साधुता आती हैं।
kalyan
जिस काम को करने से किसी की आत्मा को दुःख पहुचे ,उस काम को कभी नहीं करना चाहिए। इसमें आपको परिश्रम करने का काम नहीं हैं। बल्कि इसमें आपके परिश्रम करने का त्याग हो जाता हैं। जिसका चित्त अशांत हैं ,सदा क्षुब्ध हैं ,वह चाहे किसी भी ऊँची-से-ऊँची स्थिति में हो ,कभी सुखी नहीं हो सकता। मरते समय अंतिम साँस तक उसका चित्त अशांत रहता हैं ,और यह अशांति तब तक नहीं मिट सकती ,जब तक मन में भोगो की -पदार्थो की कामना हैं।
बुधवार, 18 सितंबर 2013
आज का शुभ विचार
मनुष्य अपने स्वभाव को निर्दोष ,शुद्ध बनाने में सर्वथा स्वतंत्र हैं।
श्रोता -जब ध्यान करने बैठते हैं ,तब काम -सम्बन्धी विचार बहुत पैदा होते हैं। क्या उपाय करे ?
स्वामीजी -पैदा नहीं होते हैं। जब भगवान का ध्यान करते हैं ,तब भीतर जो कई तरह के भाव भरे हुएं हैं ,वे बाहर निकलते हैं नष्ट होने के लिए। मनुष्य समझता हैं कि नए भाव आते हैं ,पर वास्तव मे पुराने भाव नष्ट होते हैं। उनको खुला निकलने दो ,रोको मत। दो-चार दिन में ,एक -दो महीने में निकल जाएगा। जितना खुला छोड़ो गे ,उतना अंत:करण साफ हो जाएगा। दरवाजे पर आदमी आता हुआ भी दिखता हैं ओर जाता हुआ भी दीखता हैं। इसलिए भाव आया हैं ,यह मत मानो। वह जा रहा हैं। भगवान का ध्यान ,चिन्तन आपके अन्त :करण को साफ़ क्र रहा हैं। इसलिए प्रसन्न होना चाहिए ,घबराना नहीं चाहिए।
बुधवार, 4 सितंबर 2013
कल्याण
वाणी का सयंम करने का एक ही उपाय हैं -भगवन्नाम -जप स्वाध्याय को वाणी का विषय बना लेना। जीभ के लिए भगवान के नाम का जप ही एकमात्र काम रह जाए ,दुसरे किसी भी काम के लिए उसमे से समय न निकालना पड़े। जो व्यक्ति इस प्रकार का जीवन बना लेता हैं ,वह जंहा रहता हैं ,वहीँ उसके द्वारा जगत को एक बहुत बरी चीज अपनाप अनायास ही मिलती रहती हैं।
जीभ स्थूल अंग हैं ;कर्मेन्द्रिय हैं ,पर यदि यह भगवान के नाम के साथ लगी रहती हैं तो यह जीवन को उत्तम स्तर पर खींच ले जाती हैं। फिर तो जीवन के अंत में भगवान का नाम मुख से आया कि काम बना।
भगवान के नाम - जप का अभ्यास होने के बाद मन से सोचते और हाथ से काम करते रहने पर भी अभ्यासवश जीभ से नाम अपने आप निकलता रहेंगा। सारे शास्त्रों के सत्संग का फल भी तो यही हैं कि भगवान के नाम में रूचि हो जाए।
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