भाई जी के प्रवचन
भगवान की कृपा पर विश्वास है और उनके न्याय पर विश्वास है, दुनिया की कोई भी स्थिति नहीं बता सकती।
इस ब्लॉग में परमात्मा को विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में एक अद्वितीय, अनन्त, और सर्वशक्तिमान शक्ति के रूप में समझा जाता है, जो सृष्टि का कारण है और सब कुछ में निवास करता है। जीवन इस परमात्मा की अद्वितीयता का अंश माना जाता है और इसका उद्देश्य आत्मा को परमात्मा के साथ मिलन है, जिसे 'मोक्ष' या 'निर्वाण' कहा जाता है। हमारे जीवन में ज्यादा से ज्यादा प्रभु भक्ति आ सके और हम सत्संग के द्वारा अपने प्रभु की कृपा को पा सके। हमारे जीवन में आ रही निराशा को दूर कर सकें।
भगवान की कृपा पर विश्वास है और उनके न्याय पर विश्वास है, दुनिया की कोई भी स्थिति नहीं बता सकती।
भाई जी के श्री मुख से
स्नेह, प्रीति और तज्जनित त्याग जब भी भोगों के प्रतिपादन होता है, तब उसका नाम आशक्ति होता है और भगवान के प्रतिपादन होता है तो उसका नाम भक्ति होता है।
भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी के अंतिम प्रवचन मैं आपके साथ प्रतिदिन साझा करता हूं, अगर हम अपने जीवन में आग्रह करें तो निश्चित रूप से हमारे जीवन में अमूल्य परिवर्तन हो जाएगा।
श्री राधे
भिक्षु भगवान में सच्चा विश्वास हो जाएगा, उसी के साथ उनका विवाह दुर्बलता दूर हो जाएगा, तुम्हारा भय भाग जाएगा और विपरीत विचारधारा वाले मन के आदर्श हो जाएंगे।
राम नाम की महिमा
‘रा=राक्षसानां मरणं यस्मात्। ’ ‘र’ का अर्थ है राक्षसगण ‘म’ का अर्थ है मकार का मरण। काम, क्रोध, मान, मद् आदि राक्षस जिससे मरते हैं वह है राम नाम। श्री कबीर के शिष्य श्री पद्मनाभ ने श्री राम नाम से कुष्ठी को निरोग किया। कबीर ने कहा कि गुरुदेव कृपा से नाम का इतना ही महत्व नहीं है, यह बंधन तो नाम के आभास से ही कट जाता है। रा का उच्चारण करने से पाप बाहर निकल जाते हैं। फिर मा का उच्चारण करने पर कपाट बंद हो जाता है। फिर मुख के बंद होने पर पाप प्रवेश नहीं कर पाते हैं अतः हरे राम महामंत्र विधि, अविधि जैसे भी जपा जाए कलयुग में विशेष फलप्रद है।
जैसे अनजाने में स्पर्श किया गया अग्नि भी जला देता है ऐसे ही हरि वह नाम है जो सभी के पाप तापों को करते हैं।
एक व्यक्ति वृंदावनजा रहा था दूसरे ने पैसे देकर कहां मेरे लिए एक तुलसी की माला लेते आना। अभी माला आई नहीं नाम -जाप हुआ नहीं ,परंतु केवल नाम जप करने का विचार मात्र किया था इतने से ही यमराज ने कहा अरे चित्रगुप्त ! माला मंगाने वाले के खाते को खत्म कर दो। महाराज उसे तो बहुत कर्मों के फल भोगने हैं। यमराज ने कहा नहीं–नहीं, अब वह नाम जप करने के लिए उत्सुक है। उसके ऊपर कृपा हो गई है उसे जीव के कर्म बंधन समाप्त हो जाए यही नाम का आभास है।
।।जय श्री राधे।।
भगवान की प्राप्ति का उपाय
‘रामो विग्रहवान धर्मः।’श्री राम धर्म की मूर्ति हैं।
‘श्री राम जय राम जय जय राम’ यह भगवन्न नाम हैं और वैदिक मंत्र भी है। कम से कम 22 बार जप करने वाला धन्य है। राम नाम से बढ़कर कोई नाम नहीं है।इसका जप करने वाला भक्ति मुक्ति आदि अभीष्ट पदार्थ पाता है। भगवत्त प्राप्ति का उपाय क्या है यह जीव नही जानता, भगवान अपने आप ही बताते हैं।सदा जप, तप ,अनुष्ठान में निमग्न रहकर विश्व कल्याण की मांग करनी चाहिए।
मन में नाम लेने से मुक्ति प्राप्त होती है और वाणी द्वारा उच्च स्वर से कीर्तन करने वाले को भक्ति प्राप्त होती है। उच्चस्वर से
किया गया कीर्तन अपने तथा दूसरों के भी कानों को पवित्र कर देता है। अतः भक्तजन गौरांग प्रभु आदि ने उच्च स्वर से कीर्तन करने को श्रेष्ठ बताया है।
इसलिए ऊंचे स्वर से कीर्तन करने से भगवत प्राप्ति होती है।
कलयुग के कोप से कैसे बचें ?
कलिकाल में भगवान के नाम की तरह गुरुदेव का नाम, भक्तों का नाम जपना भी मंगलकारी है। नाम की महिमा सदा थी और आगे भी रहेगी,पर कलयुग में विशेष महत्व हैं। भगवान का नाम, और भगवान आप सभी का मंगल करें। गुरुत्व का बोध हो।
जो लोग कलियुग की निंदा करते हैं और उन दोषों को अपने में रखकर दोष कलियुग को देते हैं ,वे कलियुग के दोषों से बच नहीं सकते।
भगवान के नाम, रूप, लीला, धाम सभी मंगलकारी हैं। जंहा- जहां जो-जो लोग भगवान के आश्रय स्थल हैं वहां मंगल कल्याण की प्राप्ति होती है।
अतः कलयुग के कोप से बचने का एकमात्र उपाय है जितना हो सके भगवान के नाम का जाप करो।मन में करो चाहे उच्च स्वर में करो।
दादा गुरु भक्तमाली के श्री मुख से परमार्थ के पत्र पुष्प में से
।।जय श्री राधे।।
इंसान को चिंता से मुक्ति कैसे मिले?
मन का कार्य मनन करना, चिंतन करना वह बिना मनन चिंतन के एक पल भी नहीं रह सकता और इसको चिंतन मनन करने का अभ्यास है। तो इसको चिंतन मनन कराओ लेकिन असत नहीं सत् । जो आनंद की उत्पत्ति होती है वह भगवान के नाम में, भगवान के लीला गायन में मन को लगाओ। इसीलिए हम कहते हैं कि हर समय राधा राधा राधा नाम जपो,अगर इसको खाली छोड़ दिया अगर इसको काम में नहीं लगाया तो यह पटक देगा, यह एक भूत जैसा है। एक आदमी ने भूत सिद्ध किया अपने गुर के द्वारा दिए गए मंत्र से, भूत सिद्ध हो गया अब वह पीछे पड़ गया कि मुझे काम दो, अगर खाली छोड़ दिया तो मैं आपको मार दूंगा। अब आदमी परेशान हो गया कि मैं उसको जो भी काम देता हूं वह झट से पूरा कर देता है।अब आदमी अपने गुरु के पास गया की गुरुदेव मैं इसे कोई काम नहीं दूंगा तो यह मुझे मार देगा। तो गुरु ने एक डंडा दिया और कहां इस जमीन में गाढ़ दो,और उसको बोलो जब तक मैं कोई काम नहीं देता तुम इसके ऊपर नीचे चक्कर लगाओ, जब कोई कार्य होगा तो हम बता देंगे। नहीं तो तब तक तुम इस डंडे पर चढ़ उतर, जब कोई काम होगा तो बता देंगे। ऐसे ही मन को भूत समझो यह पटक देगा अगर इसे खाली छोड़ दिया, इसलिए इसे हर समय नाम सिमरन में लगाकर रखो जो भी नाम आपको पसंद हो। देखो पटक दिया कितनी जेले भरी पड़ी है। समस्त शोकों का धाम कामना है। इनका जब तक त्याग नहीं होगा तब तक मन को विश्राम नहीं और इनका त्याग होता है नाम जप से। जो भी नाम प्रिय हो राधा नाम, राम नाम, शिव नाम जो भी प्रिय हो उसका जप करो, मन आनंदित हो जाएगा। बचपन से लेकर जितनी आयु आपकी है तब तक आपने जो भी चाहा वह अपने भोग पर आपको कभी तृप्ति नहीं मिली और वैसे ही सभी कामनाएं सभी वैसे की वैसी ही और इसी तरीके से पूरा जीवन चला जाए, तो सोचो कितने घाटे की बात है की इतना बढ़िया जीवन और हमारी कमाई कुछ भी नहीं है। जीवन की असली कमाई ईश्वर की प्राप्ति में है। इसलिए अभी भी समय है असली आनंद उठाओ और जो भी नाम प्रिय हो, उसका हर समय जप करो।
प्रेमानंद जी महाराज जी के श्री मुख से🙂
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र भावार्थ के साथ गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र श्रीमद्भागवत महापुराण के अष्टम स्कंध में आता है। इसमें एक ...