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सोमवार, 6 मई 2024

भक्ति का क्या प्रभाव होता है?

                       भक्ति का क्या प्रभाव होता है?


एक गृहस्थ कुमार भक्त थे। एक संत ने उन्हें नाम दिया वे भजन करने लगे, सीधे सरल चित् में भक्ति प्रकट हो गई अपने घर का काम करते हुए भजन करते हुए वह सिद्ध हो गए पर उन्हें पता नहीं कि मुझ में कुछ प्रभाव है। उनके समीप जो भी कोई जिस कामना से आता उसकी कामना पूर्ण हो जाती उसका कष्ट मिट जाता। धीरे-धीरे उसकी प्रसिद्ध हो गई, गांव के राजा ने सुना, तो वह फल फूल लेकर आया दर्शन कर भेट देकर उनके समीप बैठा। राजा ने पूछा की भक्ति की क्या महिमा है? भक्त कुम्हार ने कहां  राजन मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं, अतः शास्त्रों का मुझे ज्ञान नहीं है। पर अपनी प्रत्यक्ष अनुभव की बात बतलाता हूं। मैं मिट्टी के बर्तन बनाता हूं मेरी स्त्री और बच्चे भी इसी काम में लगे रहते हैं, मिट्टी में मिलाने के लिए घोड़े की लीद की जरूरत पड़ती है। घोड़े की लीद से खाद भी नहीं बनती है, सुखाकर उसे जलाने के काम भी नहीं लिया जाता। आपके यहां बहुत से घोड़े हैं ढेरों लीद पड़ी रहती है। मेरी स्त्री बच्चे उसे उठाने जाते हैं तो आपका नौकर उनको गाली देते हैं, कभी-कभी बच्चों को मारते हैं। इतने पर भी हमारी स्त्री बच्चे लीद लेने जाते हैं, मार गाली सहकर लाते हैं क्योंकि उसके बिना काम नहीं चलता है।अब आप ही देखें कि तुच्छ वस्तु के लिए तिरस्कार सहना पड़ता है और आप स्वयं राजा होकर मेरे घर आए, मुझको प्रणाम करते हैं, भेट दे रहे हैं ,ऐसा क्यों? विचार कर देखें तो यह भक्ति का प्रभाव है।उसके प्रभाव से नीच ऊंचा हो जाता है वंदनीय हो जाता है। मेरे स्त्री पुत्र भक्त नहीं है तो उन्हें तुच्छ लीद के लिए नित्य तिरस्कार सहना पड़ता है। भक्त और अभक्त का अंतर, आदर अनादर इसी में समझ लीजिए की भक्ति की कितनी महिमा है। राजा बहुत प्रभावित हुआ वस्तुत: शास्त्रों के ज्ञाता भी तर्क और अविश्वास में फंस जाते हैं। उन्हें सरल हृदय और भावुकता प्राप्त नहीं होती है इसी से उनमें सच्ची भक्ति का प्रकट नहीं होता है।

जय श्री राधे 

परमार्थ के पत्र पुष्प पुस्तक में से दादा गुरु भक्तमाली जी महाराज के श्री वचन में से एक प्रवचन।

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जय श्री राधे

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