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बुधवार, 21 अगस्त 2013

आज का शुभ विचार

 आज का शुभ विचार









जो चाहते हैं ,वह न हो और जो नहीं चाहते वो हो जाए -इसी को दुःख 
कहते हैं। यदि 'चाहते `और 'नहीं चाहते 'को छोड़ दे ,तो फिर दुःख हैं ही 
कहाँ !

सोमवार, 19 अगस्त 2013

आज का शुभ विचार

शुभ कामनाएँ 





जब परमात्मा पिता ,गुरु ,मार्ग दर्शक हैं तो तो दुनिया में किसी का भी डर नहीं। 


श्री गणेशाय : नम:


                                                                             घरेलू नुस्खे                                                                     



अनार का जूस घटा सकता है चर्बी................

* रोज एक गिलास अनार का जूस पीजिए। अनार का रस पेट पर जमी चर्बी तथा कमर पर टायर की तरह लटकते मांस को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।


* अपच : यदि आपको देर रात की पार्टी से अपच हो गया है तो पके अनार का रस चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार लें।


* प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं।


* दस्त तथा पेचिश में : 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में उबालें। फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है।


* अनार कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसका शर्बत एसिडिटी को दूर करता है।


* अत्यधिक मासिक स्राव में : अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच फाँकी सुबह-शाम पानी के साथ लेने से रक्त स्राव रुक जाता है।


* मुँह में दुर्गंध : मुँह में दुर्गंध आती हो तो अनार का छिलका उबालकर सुबह-शाम कुल्ला करें। इसके छिलकों को जलाकर मंजन करने से दाँत के रोग दूर होते हैं।


* अनार आपका मूड अच्छा करता है और साथ ही याददाश्त बढ़ाता है। तनाव से भी आपको निजात दिलाता है।


परमात्मा को कैसे दैखे?

          परमात्मा को कैसे दैखे?


प्रश्न - 
सब जगह परमात्मा हैं -हम सुन लेते हैं,कह देते हैं और देखने की चेष्टा करते हैं ,फिर भी परमात्मा दिखते नहीं। संसार दीखता हैं। हम क्या करें ,जिससे परमात्मा दिखने लग जाए ?


स्वामी जी -परमात्मा की प्राप्ति चाहते हो तो स्वार्थ बुद्धि और अभिमान का त्याग करके दूसरो की सेवा करो। इन दोनों के त्याग से ही वासुदेव : सर्वमं का अनुभव होने लगेगा। सबके प्रति सेवा भाव रखो तो भगवदबुद्धि हो जाएगी। जब भगवान दीखेंगे तो हम नम्र होंगे ,सबकी सेवा करेंगे ,तो अभी से सबकी सेवा करने लग जाओ ,तो भगवान दीख जाएँगे। आप अभिमान त्यागकर छोटे बनोगें तभी तो बड़े परमात्मा दिखेंगे। 

संसार में जितना पतन हो रहा हैं ,वह स्वार्थ बुध्दि के कारण हो रहा हैं। केवल कहने -सुनने से सबमे भगवद बुद्धि नहीं होंगी ,प्रत्युत सब सुखीं हो जाए `ऐसा भाव होने से सबमें  भगवदबुद्धि   होंगी।
(स्वामी रामसुखदास जी के श्री मुख से)

शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

                                                     घरेलू नुस्खे                                                              


* उच्च रक्तचाप में लहसुन और शहद को लेने से रक्तचाप
सामान्य होता है।

*भुने हुए जीरे को सूंघने से जुकाम में छींके आना बंद
हो जाती हैं।

* पानी में जीरा को डालकर उबाल लें। फिर इसे छान लें।
इस छने पानी से स्नान करने पर खुजली मिटती है।

* हिचकी आने पर अदरक का टुकड़ा चूसे।

* राई के तेल में नमक मिलाकर मंजन करने से पायरिया से
निजात मिलती है।

* सूजन में राई का लेप लगाने से आराम मिलता है।

* सर्दियों में बादाम को रात में भिगो दें। सुबह घिसकर
दूध में डालकर पिएं। यह दिमाग और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है।

* अमरूद खाने से कब्ज में फायदा होता है।

* प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से
उल्टिया आना बंद हो जाती हैं।

* अमरूद को काले नमक, जीरा और नींबू का रस मिलाकर
खाएं। इससे मुंह का जायका सुधरता है।

* भाग का नशा उतारने के लिए अमरूद खिलाना चाहिए।

* रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आवले का पाउडर
पानी में घोलकर पीने से कोलेस्ट्राल को नियंत्रित
करने में मदद मिलती है।

सीमा के भीतर असीम प्रकाश

                                                               सीमा के भीतर असीम प्रकाश 


पंचाम्रत में सबसे पहली बात हें -हम भगवान के हैं। जेसे शरीर माता-पिता दोनों का अंश हैं ,ऐसे ही शरीर प्रकृति का अंश हैं। शरीर पर हमारा स्वतंत्र अधिकार नहीं चलता ,फिर उसे अपना मानना सिवाय मुर्खता के और क्या है?
दूसरी बात हैं -हम जंहा भी रहते हैं ,भगवान के दरबार में रहते हैं। यहाँ जिस घर को हम अपना मानते हैं ,उस घर में हम सदा के लिए रह सकेगें ?
तीसरी बात -हम जो कुछ शुभ काम करते हैं ,भगवान का ही काम करते हैं। आप जो भी काम करें ,मन से भगवान का काम समझ कर करो। फिर आप को अलग से जप ,ध्यान ,आदि करने की जरुरत नहीं। 
चोथी बात -शुद्ध सात्विक जो भी पाते हो ,भगवान का ही प्रसाद पाते हो। भगवान के प्रसाद का बहुत भरी महत्व हैं। बड़े - बड़े धनी  भी प्रसाद का कण मात्र पाने के लिए हाथ फेलाते हैं। घर में जितनी वस्तु हैं सब में तुलसी दल रख कर भगवान के अर्पण कर दो। अब भोजन बनेगा तो भगवन का प्रसाद ही बनेगा। 
पाचवी बात -भगवान के दिए प्रसाद से भगवन के जनों की ही सेवा करते हैं। दुकान आदि में काम करते हैं तो भगवान का ही काम करते हैं। और उससे जो पैसा आता हैं ,वह भगवान का ही प्रसाद हैं।  
उपर्युक्त पंचाम्रत का सेवन करने से आपका जीवन महान  पवित्र हो जाएगा।,आप संत -महात्मा हो जाएँगे ,जीवन मुक्त हो जाएँगे।जेसे मछली जल की शरण में रहती हैं ;जल के बाहर नहीं रह सकती ,मर जाती हैं ,ऐसे ही आप निरंतर भगवान की शरण में रहो। 

स्वामी रामसुखदास जी के प्रवचनों का सार -                          

मंगलवार, 13 अगस्त 2013

                        अस्थमा के घरेलू उपचार               



 लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। 

अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। सबेरे और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।

दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है। 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है। 

180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है। 

अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मैथी के काढ़े और स्वादानुसार शहद इस मिश्रण में मिलाएं। दमे के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है। मैथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सबेरे-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है। 

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