
इस ब्लॉग में परमात्मा को विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में एक अद्वितीय, अनन्त, और सर्वशक्तिमान शक्ति के रूप में समझा जाता है, जो सृष्टि का कारण है और सब कुछ में निवास करता है। जीवन इस परमात्मा की अद्वितीयता का अंश माना जाता है और इसका उद्देश्य आत्मा को परमात्मा के साथ मिलन है, जिसे 'मोक्ष' या 'निर्वाण' कहा जाता है। हमारे जीवन में ज्यादा से ज्यादा प्रभु भक्ति आ सके और हम सत्संग के द्वारा अपने प्रभु की कृपा को पा सके। हमारे जीवन में आ रही निराशा को दूर कर सकें।
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शनिवार, 23 मई 2015
जीवन में सफलता के सुत्र (भाग 2)
जीवन में सफलता के सूत्र
7. आध्यात्मिक बनिए -
विलासिता भरा जीवन हमारे आध्यात्मिक मार्ग में बाधा उत्पन्न करता हैं ।इसलिए विलासिता से बचना चाहिए ।भौतिक पदार्थ कुछ समय के लिए होते हैं ,और यह हमे ज्यादा लम्बे समय तक सुख नहीं दे सकते ।किन्तु आध्यात्मिक उपलब्धियाँ स्थायी होती हैं ,जो हमेशा हमारे साथ रहती हैं ।तथा जीवन को आनन्द देती हैं ,सच्चा आनन्द ।
8.आत्मनियंत्रित करिये -
आत्मनियन्त्रण के द्वारा मनुष्य ऊंचाइयों के शिखर तक पहुँच सकता हैं ।प्रत्येक व्यक्ति में बहुत कुछ कर सकने की क्षमता होती हैं।उसकी उन्नति का सबसे बड़ा रहस्य हैं आत्मनियन्त्रण ।इसलिए जिस व्यक्ति ने आत्मनियन्त्रण कर लिया ,उसे अवश्य सफलता मिलती हैं ।जो व्यक्ति आत्मनियन्त्रण कर लेता हैं वही क्रोध पर नियंत्रण कर लेता हैं और क्रोध पर नियंत्रण मतलब हर क्षेत्र में तरक्की ।
9. आत्मनिरीक्षण करिये-
आत्मनिरीक्षण करके व आत्मसुधार करके अपनी छोटी -छोटी गलतियों को सुधारा जा सकता हैं ,और उन्हें दुबारा न करने का निर्णय ले लेना चाहिए ।आप हर सप्ताह अपनी प्रगति का मूल्यांकन करिये तथा मालूम करिये की आपने कब कौन सी गलती करी और भविष्य में उसे न करने का संकल्प ले लें ।
10 .आवश्यकता कम करिये -
दुसरो की देखा देखी अपनी इच्छाओं को बढ़ाकर आय से अधिक खर्च करना क्या उचित हैं ? हमे यह ध्यान रखना चाहिये जितनी हमारी आवश्यकता कम होंगी ,उतनी हमारी चिंता कम होगी और संतोष अधिक होगा ।
11. आदर्श मित्र चुनें -
मित्र क्या हैं ? वह एक ऐसा व्यक्ति हैं ,जिसके साथ आप स्वंय निडर हो जाते हैं ।उसके सामने आप अपने दिल की सभी बातें कर सकते हैं ।जीवन में सभी को मित्र की आवश्यकता होती हैं ।मित्र ऐसा होना चाहिए जो विश्वसनीय हो ,आदर्श हो ,आपके सुख दुःख की चिंता करने वाला हो ।आपका केवल सुख में ही साथ न दे अपितु दुःख में भी साथ खड़ा रहे ।
आज का शुभ विचार
जो हम अभी अनुभव कर रहे हैं ,वह अतीत का फल हैं ,भविष्य में जो अनुभव करेंगे वो इस बात पर निर्भर करता हैं कि हम अभी क्या करते हैं ।
शुक्रवार, 22 मई 2015
जीवन में सफलता के सूत्र (भाग 1)
जीवन में सफलता के सूत्र
उद्दे श्य के बिना व्यक्ति के जीवन का कोई महत्व नहीं रखता ।मनुष्य का जीवन यूँ ही जीने के लिए नहीं हुआ हैं, यह तो कुछ करने के लिए हुआ हैं ,जिससे उसका स्मरण मरने के बाद भी लोग कर सकें ।जीवन का उद्देश्य निश्चित करके उसको पूरा करने के लिए सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए ।
2 . नित्य प्रभु -स्मरण करें -
प्रतिदिन प्रार्थना , स्तुति ,प्रभु के ध्यान के लिए कुछ समय अवश्य दें ।प्रतिदिन कार्य आरम्भ करने से पूर्व माता -पिता ,गुरु को अवश्य प्रणाम करें ;क्योंकि प्रभु की कृपा और माता -पिता के आशीर्वाद के बिना सफलता सम्भव नहीं हैं ।
3. अपने काम को श्रेष्ठ मानें -
अक्सर ऐसा होता हैं जो जिस काम में हैं , वो उस काम में खुश नहीं होता ।नौकरी वाले को व्यवसाय और व्यवसाय वाले को नौकरी में अधिक लाभ दिखाई देता हैं ।नौकरी वाले जीवन पराधीन लगता लगता हैं ।व्यापार वाले को व्यापार में हर समय घाटे
की चिंता बनी रहती हैं । किसान को खेती में मेहनत अधिक और आय कम दिखती हैं ।किन्तु यदि आप पूरे जीवन में ख़ुशी चाहते हैं तो अपने काम से प्यार करें ,अपने काम को ही श्रेष्ठ मानें ।
4 . कर्तव्य पालन जरुरी हैं -
माता -पिता के प्रति , भाई -बहन के प्रति ,पति के प्रति ,पत्नी के प्रति ,मित्र के प्रति ,बच्चो के प्रति क्या कर्तव्य हैं ?यह जानना तथा उस पर आचरण करना बुद्धिमानी हैं तथा जीवन को उन्नत बनाने के लिए विशेष महत्वपूर्ण हैं ।
5 . समय का सदुपयोग करें -
समय का सदुपयोग प्रत्येक कार्य को समय पर पूर्ण करके किया जा सकता हैं ।आलस्य या व्यर्थ की बातों में समय का दुरूपयोग होता हैं ।अतः समय का सदुपयोग करना चाहिए ।वर्तमान समय को इतना खूबसूरत बना लें कि इन सुनहरे दिनों को कभी भूला न सके ।
6 . अपने कार्य में व्यस्त रहें -
एकाकीपन को दूर करने का सर्वोत्तम तरीका हैं -अपने आप को कार्य में व्यस्त रखना ।सदा किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखने से खुशी मिलती हैं । जितने भी महापुरुष हुएं वह सभी अपने लक्ष्य के प्रति सचेत रहे हैं व् सतर्क रहे । उनकी कार्य के प्रति समर्पित भावना से ही उन्हें कठिन कार्यो में भी सफलता प्राप्त हो सकी ।
बुधवार, 20 मई 2015
मंगलवार, 19 मई 2015
जीवन में मिठास
.
मिठास
〰〰〰〰
मिठास
〰〰〰〰
चाय का कप लेकर आप
खिड़की के पास बैठे हों
और बाहर के सुंदर नज़ारे का
आनंद लेते हुए चाय की चुस्की लेते हैं
.....अरे चीनी डालना तो भूल ही गये..;
खिड़की के पास बैठे हों
और बाहर के सुंदर नज़ारे का
आनंद लेते हुए चाय की चुस्की लेते हैं
.....अरे चीनी डालना तो भूल ही गये..;
और तभी फिर से किचन मेँ जाकर
चीनी डालने का आलस आ गया....
आज फीकी चाय को जैसे तैसे
पी गए,कप खाली कर दिया
चीनी डालने का आलस आ गया....
आज फीकी चाय को जैसे तैसे
पी गए,कप खाली कर दिया
तभी आपकी नज़र कप के तल
में पड़ी बिना घुली चीनी पर
पडती है..!!
मुख पर मुस्कुराहट लिए सोच में पड
गये...चम्मच होता तो मिला लेता
में पड़ी बिना घुली चीनी पर
पडती है..!!
मुख पर मुस्कुराहट लिए सोच में पड
गये...चम्मच होता तो मिला लेता
हमारे जीवन मे भी कुछ ऐसा ही है...
सुख ही सुख बिखरा पड़ा है
हमारे आस पास...
लेकिन,
बिन घुली उस चीनी की तरह !!
सुख ही सुख बिखरा पड़ा है
हमारे आस पास...
लेकिन,
बिन घुली उस चीनी की तरह !!
थोड़ा सा ध्यान दें-
किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही
हक से रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का पानी
धीरे से पोंछना आना चाहिए !
रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा
मान अपमान ?
बस अपनों के दिल मे रहना
आना चाहिए...!
किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही
हक से रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का पानी
धीरे से पोंछना आना चाहिए !
रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा
मान अपमान ?
बस अपनों के दिल मे रहना
आना चाहिए...!
प्यार एवं सत्संग रूपी चम्मच
से जीवन में मिठास घोलनी चाहिए!!
से जीवन में मिठास घोलनी चाहिए!!
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