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शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

लघु गीता अध्याय 6


                           लघु गीता अध्याय 6 



योग की प्राप्ति कर्म से ही हैं और जब मनुष्य विषय और वासनाओं से छूट जाता है तो योगी कहलाता है।मन को जीतना व मन के वश में होना –इस प्रकार मनुष्य अपना मित्र व शत्रु स्वयं ही है और मन जीतने वाले की आत्मा, शीत–उष्ण, दुख–सुख, मान –अपमान होने पर स्थिर रहती हैं और मिट्टी ,पत्थर, सोने को समान मानता है, मित्र और शत्रु, साधु और पापी के लिए समान दृष्टि रखता है।

योगी को किसी एकांत व नर्म व साफ स्थान पर बैठकर निरंतर ध्यान योग लगाना चाहिए और मन व इंद्रियों को एकाग्र कर,गर्दन को सीधा कर,ब्रह्मचर्य को पालन करते हुए ही ध्यान लगाना चाहिए।जो लोग अधिक उपवास या अधिक खाना या अधिक सोना व जागना करते हैं उनको योग प्राप्त नहीं होता, और जो नियम अनुसार जागते, सोते, खाते–पीते व कर्मों का सही पालन करते है वहीं योगी है,तथा परमानंद और मोक्ष प्राप्त करते है। इसके बाद कोई और बड़ा लाभ और सुख नहीं है।

        जैसा कि मन बहुत चंचल है और इसे वश में रखना बहुत कठिन है परंतु अभ्यास और उपाय ही इसे वश में कर सकते है।

    उत्तम काम करने वालो की कभी दुर्गति नहीं होती है और भले ही योग में असफल रहा हो और वह सुख भोगता हुआ पुनः किसी बुद्धिमान योगी व उत्तम व धनवान,पवित्र मनुष्य के घर जन्म लेता है और पूर्व जन्म की बुद्धि ,संस्कार, आत्मज्ञान को प्राप्त करता है।

।।जय श्री राधे।।

लघु गीता अध्याय 5

                          लघु गीता अध्याय 5


 

ईश्वर में मन को लगाते हुए – ज्ञान द्वारा–कर्म को करते हुए –उसमें लिप्त न होना ,किसी से द्वेष न होना,फल की इच्छा न करना ,मन तथा इंद्रियों को जीतने वाला , सब में अपनी जैसी आत्मा देखने वाला ही मोक्ष को सीधा प्राप्त होता है। और कर्मयोग को करते हुए,सुनते हुए,सूंघते हुए,स्पर्श करते हुए,खाते हुए,सांस लेते हुए भी अपने को निमित्त मात्र मानता है वह शीघ्र मोक्ष को प्राप्त होता है।जो प्रिय वस्तु को प्राप्त करने से प्रसन्न नहीं होते व अप्रिय वस्तु को पाकर दुखी नहीं होते वे ब्रह्म ज्ञानी है।जो ईश्वर में निष्ठा करके सदा चिंतन करते हैं और ज्ञान द्वारा जिनके सब पाप नाश हो गए है, काम व क्रोध काबू में है; इंद्रियों के भोगों से रहित है वे जीव मात्र के हितकारी है और भय से रहित है वहीं मोक्ष प्राप्त करते है।

।।श्री राधे।।


बुधवार, 13 अगस्त 2025

लघु गीता अध्याय 4

                         लघु गीता अध्याय 4


भगवान कृष्ण ने कहा कि कई बार मैंने धर्म स्थापना हेतु और पापियों के नाश करने के लिए जन्म लिए, ताकि साधुओं की रक्षा हो सके।

 जो मनुष्य जन्म-मरण के तत्व को समझ लेता है और मोह,भय, क्रोध को त्याग कर मेरी शरण मे आता है उसे मोक्ष मिल जाता है।

इस संसार में मनुष्य जिस भावना से, जिस देवता की भक्ति करता है वह ईश्वर की ही भक्ति है और शीघ्र फल प्राप्त होता है। जो लोग द्रव्य यज्ञ, तप यज्ञ, स्वाध्याय यज्ञ, व ज्ञान यज्ञ व आहार कम करके रहते हैं वह सब  यज्ञवेत्ता है व इन सब यज्ञों से सब पाप नष्ट हो जाते हैं और जो यज्ञ नहीं करते उन्हें लोक व परलोक दोनों प्राप्त नहीं होते।

ज्ञान यज्ञ सबसे उत्तम है। श्रद्धा रहित व मन में संदेह बना रहा ऐसे लोग नरक को ही जाते हैं। इसलिए ज्ञान से अपने संदेह को मिटाकर कर्म को करना ही  मोक्ष दिला सकता है।


मंगलवार, 12 अगस्त 2025

आरती: सुखकर्ता दुखहर्ता (मराठी) हिन्दी में अर्थ के साथ

आरती: सुखकर्ता दुखहर्ता (मराठी) हिन्दी में अर्थ के साथ


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदूराची
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची ॥१॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥धृ॥

रत्नखचित फरा तुझे मस्तक शोभे
सुंदर दोन डोळा सुरवंटाचे लोभे
वीसावा तुझा वंदन करितो लोळे
संपत्तीचा भांडार तूचि रे ॥२॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥धृ॥

कर्णीकर्णिके मुकुट शोभतो भारी
तारक हार वागे गरगर भारी
पद्मासना वर बसलासवारी
चरणी लोटांगण वंदितो आम्ही ॥३॥

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥धृ॥


हिंदी अर्थ

पहला पद:
जो सुख देने वाले और दुख दूर करने वाले हैं, विघ्नों की सारी बातें मिटा देते हैं,
जो प्रेम और कृपा से सबकी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं।
जिनका संपूर्ण शरीर सुंदर है, जिन पर लाल चंदन (सिंदूर) का उटी लगी है,
गले में मोतियों की माला शोभा देती है।

ध्रुव पंक्ति:
जय हो, जय हो, हे मंगलमूर्ति गणेशजी!
आपके दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

दूसरा पद:
रत्न जड़े हुए मुकुट आपके मस्तक पर शोभा पाते हैं,
आपकी सुंदर दो आंखें मोरपंख के समान आकर्षक हैं।
जो आपकी शरण आते हैं, उन्हें विश्राम और सुख मिलता है।
आप संपत्ति और समृद्धि का भंडार हैं।

तीसरा पद:
आपके कानों में सुंदर झुमके और सिर पर शोभायमान मुकुट है,
गले में तारों से बनी माला है जो अद्भुत है।
आप कमलासन पर विराजमान हैं,
हम आपके चरणों में लोट कर वंदना करते हैं।

।।गणपति बप्पा मोरया ।।

गणेश चतुर्थी का इतिहास,धार्मिक mahtav

गणेश चतुर्थी का इतिहास,धार्मिक महत्व


1. गणेश चतुर्थी का इतिहास

  • प्राचीन मान्यता – गणेश चतुर्थी का उल्लेख मुद्गल पुराण और गणेश पुराण में मिलता है।
  • लोकमान्य तिलक का योगदान – 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस पर्व को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा शुरू की, ताकि लोगों में एकता और स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति जागरूकता फैले।
  • तब से यह केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी बन गया।

2. धार्मिक महत्व

  • भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सिद्धि-विनायक कहा जाता है।
  • उन्हें बुद्धि, विवेक और सौभाग्य का देवता माना जाता है।
  • गणेश चतुर्थी पर गणेशजी की मूर्ति स्थापित कर 10 दिनों तक पूजा की जाती है।
  • अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा मोरया, पुढ़च्या वर्षी लवकर या (अगले साल जल्दी आना) कहते हुए विसर्जन किया जाता है।

3. उत्सव की विशेषताएं


  • भव्य मूर्तियां – छोटी घर की मूर्तियों से लेकर 15–20 फीट ऊंची सार्वजनिक मूर्तियां।
  • थीम पंडाल – पौराणिक कथाएं, सामाजिक संदेश, या ऐतिहासिक स्थल की झलक।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम – भजन, आरती, नृत्य, रंगोली और कला प्रदर्शन।
  • भोग – मोदक, लड्डू, पूरणपोली, और नारियल से बनी मिठाइयां।

4. मुंबई में विशेष रंग

  • लालबागचा राजा – सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारी गणपति माने जाते हैं।
  • गिरगांव चौपाटी का विसर्जन – लाखों लोग शामिल होते हैं।
  • दगडूशेठ गणपति – पुणे का प्रसिद्ध गणपति, लेकिन मुंबई से भी बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने जाते हैं।

5. आध्यात्मिक संदेश

गणेश चतुर्थी हमें यह सिखाती है कि जीवन की हर शुरुआत में हम ईश्वर का स्मरण करें, अपने भीतर के अहंकार को दूर करें, और प्रेम व सद्भावना के साथ समाज में रहना सीखें।


भाद्रपक्ष में मुंबई की गणेश चतुर्थी – भक्ति, भव्यता और उल्लास"

भाद्रपक्ष में बॉम्बे की गणेश चतुर्थी – भक्ति और उल्लास का संगम


🌸 भूमिका

गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख उत्सव है, लेकिन मुंबई (बॉम्बे) में इसकी भव्यता देखने लायक होती है।
भाद्रपक्ष शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व मनाया जाता है और 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में पूरे शहर का वातावरण गणेशमय हो जाता है।

🌺 गणेश चतुर्थी का महत्व

  • यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
  • गणपति को विघ्नहर्ता और शुभारंभ के देवता माना जाता है।
  • महाराष्ट्र, विशेषकर मुंबई में, इसे सामाजिक एकता, कला और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।

🎉 मुंबई में गणेश चतुर्थी की खासियत

1. लालबागचा राजा

मुंबई का सबसे प्रसिद्ध गणपति पंडाल, जहाँ लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

2. भव्य पंडाल सजावट

हर गली-मोहल्ले में अद्भुत थीम पर आधारित पंडाल सजाए जाते हैं — जैसे मंदिर की आकृति, ऐतिहासिक किले, या सामाजिक संदेश देने वाले डिज़ाइन।

3. सांस्कृतिक कार्यक्रम

भजन-कीर्तन, नृत्य, नाटक, और लोककला प्रदर्शन का आयोजन।


4. विसर्जन यात्रा

अनंत चतुर्दशी के दिन विशाल शोभायात्रा के साथ गणेशजी को विदाई दी जाती है।
"गणपति बप्पा मोरया" के जयकारों से सारा शहर गूंज उठता है।

🪔 गणेश चतुर्थी का संदेश

यह पर्व हमें सिखाता है कि शुरुआत हमेशा मंगलमय होनी चाहिए, और जीवन से सभी विघ्नों को दूर करने के लिए हमें भगवान गणेश का आशीर्वाद लेना चाहिए।


🌸 "वक्रतुंड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभा…" 🌸


श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत,पूजा विधि,महत्व और विशेषताएं

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 – भगवान के अवतरण का पावन पर्व


🌸 भूमिका

जन्माष्टमी हिंदू धर्म का प्रमुख और पावन त्योहार है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और अर्धरात्रि का समय इस दिन का विशेष संयोग होता है।
इस दिन मंदिरों और घरों में झूला सजाकर, भजन-कीर्तन गाकर और व्रत-पूजा करके वातावरण को कृष्णमय बनाया जाता है।

🌺 जन्माष्टमी का महत्व

  • भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा की कारागार में हुआ।
  • उन्होंने अत्याचारी कंस का अंत कर धर्म और न्याय की स्थापना की।
  • गीता के उपदेश से उन्होंने मानवता को सत्य, धर्म और कर्म का संदेश दिया।
  • जन्माष्टमी हमें प्रेम, करुणा, निडरता और धर्मनिष्ठा की प्रेरणा देती है।

🪔 व्रत और पूजा विधि

  1. व्रत का पालन – भक्त निर्जल या फलाहार उपवास रखते हैं।
  2. मध्यरात्रि पूजन – रात 12 बजे, श्रीकृष्ण जन्म समय, विशेष पूजा की जाती है।
  3. झांकी और झूला – कृष्ण-लीला की झांकियां बनाई जाती हैं और भगवान का झूला सजाया जाता है।
  4. भोग अर्पण – माखन-मिश्री, पंजीरी और मिश्री का भोग लगाया जाता है।


🎉 जन्माष्टमी की विशेषताएं

  • दही-हांडी – महाराष्ट्र और गुजरात में मटकी फोड़ प्रतियोगिता की धूम।
  • भजन-कीर्तन – पूरे दिन और रात भक्ति गीतों का आयोजन।
  • गीता पाठ – गीता के श्लोकों का पाठ और सत्संग।


💬 जन्माष्टमी का संदेश

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हमें सिखाता है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते रहना चाहिए।
प्रेम, करुणा और निस्वार्थ सेवा ही सच्ची भक्ति है।

🌸 "राधे राधे बोलना आसान है, पर राधा के रंग में रंग जाना कठिन…" 🌸


।।जय श्री राधे।।

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