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गुरुवार, 22 अगस्त 2013

सद्गुण कैसे आयेगें

    सीमा के भीतर असीम प्रकाश






स्वामी रामसुखदास जी कहते हैं -एक मार्मिक बात हैं कि सभी सदगुण -सदाचार स्वभाविक हैं। हम समझते हैं कि अवगुणों को मिटाना व गुणों को लाना -ये दो काम हमे करने हैं ,पर वास्तव मे काम एक ही हैं ,और वो हैं अवगुणों को मिटाना। अवगुण मिटने पर अच्छे गुण अपने -आप ही आ जाएँगे ;क्योंकि जीव परमात्मा का अंश हैं। जेसे बीमारी छूटने से निरोगता स्वत :आती हैं ,ऐसे ही अवगुण छूटने से गुण स्वत: आएंगे। जब तक दुसरो की अपेक्षा अपने मैं विशेषता दिखती हैं ,तब तक समझना चाहिए अपने मैं गुणों का अभिमान हैं। 

भगवान को याद करने से अंत:करण स्वभाविक निर्मल होता हैं और अच्छी बाते पैदा होती हैं। थोड़ी -थोड़ी देर में कहते रहो कि 'हे नाथ ,मैं आप को भूलूँ नहीं !'हे मेरे प्रभु ,मैं आप को भूलूं नहीं !!फिर अपने आप सदगुण आएँगे। भगवान को याद करने से ,उनकी चर्चा करने से सदगुण ,सदाचार स्वभाविक आते हैं। 

संत- महात्माओ के संग से स्वभाविक सदगुण ,सदाचार  आते हैं। ,भगवान को पाने की भूख लगती हैं ,भगवान प्यारे लगते हैं ,भगवान की लीला अच्छी लगती हैं ,गंगाजल अच्छा लगता हैं ,भगवान से सम्बन्ध रखने वाली सब चीजें अच्छी लगती हैं। 

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शुभ विचार

ॐ परमातम्ने नम:





यदि हमारा पैर फिसल जाए तो हम संभल सकते हैं ,परन्तु जुबान फिसल 

जाए तो गहरा घाव कर देती हैं। इसलिए सावधान रहिये। 


बुधवार, 21 अगस्त 2013

घरेलू नुस्खे 

लकवा 



इस बीमारी में रोगी का आधा मुंह टेढ़ा हो जाता है। गर्दन टेढ़ी हो जाती है, मुंह से आवाज नहीं निकल पाती है। आँख, नाक, भौंह व गाल टेढ़े पड़ जाते हैं, फड़कते हैं और इनमें वेदना होती है। मुंह से लार गिरा करती है।

 राई, अकरकरा, शहद तीनों 6-6 ग्राम लें। राई और अकरकरा को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें, और शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार जीभ पर मलते रहें। लकवा रोग दूर होगा।

 25 ग्राम छिला हुआ लहसुन पीसकर 200 ग्राम दूध में उबालें, खीर की तरह गाढ़ा होने पर उतारकर ठंडा होने पर खावें।

 सौंठ और उड़द उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक होता है। यह परीक्षित प्रयोग है।

 6 ग्राम कपास की जड़ का चूर्ण, 6 ग्राम शहद में मिलाकर सुहब शाम लेने से लाभ होता है।

 लहसुन की 5-6 काली पीसकर उसे 15 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम लेने से लकवा में आराम मिलता है।


आज का शुभ विचार

 आज का शुभ विचार









जो चाहते हैं ,वह न हो और जो नहीं चाहते वो हो जाए -इसी को दुःख 
कहते हैं। यदि 'चाहते `और 'नहीं चाहते 'को छोड़ दे ,तो फिर दुःख हैं ही 
कहाँ !

सोमवार, 19 अगस्त 2013

आज का शुभ विचार

शुभ कामनाएँ 





जब परमात्मा पिता ,गुरु ,मार्ग दर्शक हैं तो तो दुनिया में किसी का भी डर नहीं। 


श्री गणेशाय : नम:


                                                                             घरेलू नुस्खे                                                                     



अनार का जूस घटा सकता है चर्बी................

* रोज एक गिलास अनार का जूस पीजिए। अनार का रस पेट पर जमी चर्बी तथा कमर पर टायर की तरह लटकते मांस को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।


* अपच : यदि आपको देर रात की पार्टी से अपच हो गया है तो पके अनार का रस चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार लें।


* प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं।


* दस्त तथा पेचिश में : 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में उबालें। फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है।


* अनार कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसका शर्बत एसिडिटी को दूर करता है।


* अत्यधिक मासिक स्राव में : अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच फाँकी सुबह-शाम पानी के साथ लेने से रक्त स्राव रुक जाता है।


* मुँह में दुर्गंध : मुँह में दुर्गंध आती हो तो अनार का छिलका उबालकर सुबह-शाम कुल्ला करें। इसके छिलकों को जलाकर मंजन करने से दाँत के रोग दूर होते हैं।


* अनार आपका मूड अच्छा करता है और साथ ही याददाश्त बढ़ाता है। तनाव से भी आपको निजात दिलाता है।


परमात्मा को कैसे दैखे?

          परमात्मा को कैसे दैखे?


प्रश्न - 
सब जगह परमात्मा हैं -हम सुन लेते हैं,कह देते हैं और देखने की चेष्टा करते हैं ,फिर भी परमात्मा दिखते नहीं। संसार दीखता हैं। हम क्या करें ,जिससे परमात्मा दिखने लग जाए ?


स्वामी जी -परमात्मा की प्राप्ति चाहते हो तो स्वार्थ बुद्धि और अभिमान का त्याग करके दूसरो की सेवा करो। इन दोनों के त्याग से ही वासुदेव : सर्वमं का अनुभव होने लगेगा। सबके प्रति सेवा भाव रखो तो भगवदबुद्धि हो जाएगी। जब भगवान दीखेंगे तो हम नम्र होंगे ,सबकी सेवा करेंगे ,तो अभी से सबकी सेवा करने लग जाओ ,तो भगवान दीख जाएँगे। आप अभिमान त्यागकर छोटे बनोगें तभी तो बड़े परमात्मा दिखेंगे। 

संसार में जितना पतन हो रहा हैं ,वह स्वार्थ बुध्दि के कारण हो रहा हैं। केवल कहने -सुनने से सबमे भगवद बुद्धि नहीं होंगी ,प्रत्युत सब सुखीं हो जाए `ऐसा भाव होने से सबमें  भगवदबुद्धि   होंगी।
(स्वामी रामसुखदास जी के श्री मुख से)

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