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मंगलवार, 27 अगस्त 2013

ghrelu nuskhe

                                           घरेलू नुस्खे                                  

दिमागी ताकत



बबूल का गोंद आधा किलो शुद्ध घी में तल कर फूले निकाल लें और ठण्डे

 करके बारीक पीस लें। इसके बराबर मात्रा में पिसी मिश्री इसमें मिला लें। 

बीज निकाली हुई मुनक्का 250 ग्राम और बादाम की छिली हुई गिरी 100 

ग्राम-दोनों को खल बट्टे (इमाम दस्ते) में खूब कूट-पीसकर इसमें मिला लें। 

बस योग तैयार है।

सुबह नाश्ते के रूप में इसे दो चम्मच (बड़े) याने लगभग 20-25 ग्राम मात्रा 


में खूब चबा-चबा कर खाएं। साथ में एक गिलास मीठा दूध घूंट-घूंट करके 

पीते रहे। इसके बाद जब खूब अच्छी भूख लगे तभी भोजन करें। यह योग 

शरीर के लिए तो पौष्टिक है ही, साथ ही दिमागी ताकत और तरावट के लिए 

भी बहुत गुणकारी है। छात्र-छात्राओं को यह नुस्खा अवश्य सेवन करना 

चाहिए।

    सीमा के भीतर असीम प्रकाश














पांच चीजे आपकी संस्कृति की रक्षा करने वाली हैं -विवाह ,भोजन ,वेशभूषा ,भाषा और व्यवसाय। इनका त्याग करने से बड़ी भरी हानि  होती हैं। लोग कहते हैं कि समय के अनुसार चलना चाहिए ;हम तो समय के अनुसार काम करते हैं। ऐसा सब कहते तो हैं ,पर करते नहीं हैं गर्मी के दिनों में आप ठंडा पानी पीते हैं ,पतले कपडे पहनते हैं ,पंखा चलाते हो तो यह आपका समय से विरुद्ध चलना हैं। समय के अनुसार चलना तो तब माना जाए ,जब आप गर्मी के दिनों में गर्म पानी पीओ ,ठंडी के दिनों में ठंडा पानी पीओ। इसलिए समय के अनुसार काम करो समय से बचने के लिए। अगर आप कलयुग के अनुसार चलने लग जाओ तो बहुत जल्दी पतन हो जाएगा इसलिए अभी से सावधान हो जाना चहिये। 

subhashit vichar(shubh vichar/auspicious views)









यदि आप गलती करके स्वयं को सिद्ध करने का प्रयास करते हैं तो समय आपकी मुर्खता पर हँसेगा। 

सोमवार, 26 अगस्त 2013

                                           घरेलू नुस्खे                                   



एसिडिटी के लिए घरेलू नुस्खे –

• एसिडिटी होने पर कच्ची सौंफ चबानी चाहिए। सौंफ चबाने से एसिडिटी समाप्त हो जाती है। 

• जायफल तथा सोंठ को मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण को एक-एक चुटकी लेने से एसिडिटी समाप्त होती है। 

• गुड़, केला, बादाम और नींबू खाने से एसिडिटी जल्दी ठीक हो जाती है। 

• लौंग एसिडिटी के लिए बहुत फायदेमंद है। एसिडिटी होने पर लौंग चूसना चाहिए। 

• एसिडिटी होने पर मुलेठी का चूर्ण या काढ़ा बनाकर उसका सेवन करना चाहिए। इससे एसिडिटी में फायदा होता है। 

• नीम की छाल का चूर्ण या रात में भिगोकर रखी छाल का पानी छानकर पीना चाहिए। ऐसा करने से अम्लापित्त या एसिडिटी ठीक हो जाता है। 

• एसिडिटी होने पर त्रिफला चूर्ण का प्रयोग करने से फायदा होता है। त्रिफला को दूध के साथ पीने से एसिडिटी समाप्त होती है। 

• दूध में मुनक्का डालकर उबालना चाहिए। उसके बाद दूध को ठंडा करके पीने से फायदा होता है और एसिडिटी ठीक होती है। 

• एसिडिटी के मरीजों को एक गिलास गुनगुने पानी में चुटकी भर काली मिर्च का चूर्ण तथा आधा नींबू निचोड़कर नियमित रूप से सुबह पीना चाहिए। ऐसा करने से पेट साफ रहता है और एसिडिटी में फायदा होता है। 

• सौंफ, आंवला व गुलाब के फूलों को बराबर हिस्से में लेकर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण को आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम लेने से एसिडिटी में फायदा होता है। 

• एसिडिटी होने पर सलाद के रूप में मूली खाना चाहिए। मूली काटकर उसपर काला नमक तथा कालीमिर्च छिडककर खाने से फायदा होता है। 

• कच्चे चावल के 8-10 दानों को पानी के साथ सुबह खाली पेट गटक लीजिए। 

• अदरक और परवल को मिलाकर काढा बना लीजिए। इस काढे को सुबह-शाम पीने से एसिडिटी की समस्या समाप्त होती है। 

• सुबह-सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से एसिडिटी में फायदा होता है। 

• नारियल का पानी पीने से एसिडिटी की समस्या से छुटकारा मिलता है। 

• पानी में पुदीने की कुछ पत्तियां डालकर उबाल लीजिए। हर रोज खाने के बाद इन इस पानी का सेवन कीजिए। एसिडिटी में फायदा होगा। 

सीमा के भीतर असीम प्रकाश

    सीमा के भीतर असीम प्रकाश












स्वामी जी के अनुसार -मनुष्य कों भुत और भविष्य की चिंता नहीं करनी चहिये। वर्तमान ठीक करना हैं। वर्तमान ठीक होगा भूत  और भविष्य दोनों ठीक हो जाएँगे। वर्तमान ही भूत बनता हैं और भविष्य वर्तमान में ही आता हैं। इसलिए अपना वर्तमान जीवन शुद्ध बनाओ। वर्तमान ठीक होगा' सावधानी से 'ऐसी  सावधानी रखो कि कोई काम शास्त्र विरुद्ध ,धर्म विरुद्ध,मर्यादा विरुद्ध न हो। वर्तमान मैं निर्भय ,नि:शंक ,नि :शोक और   निश्चिन्त रहो। जितने संत हुए हैं ,उन्होंने वर्तमान ही ठीक किया हैं ,भूत -भविष्य की चिंता नहीं की हैं। अभी हम जो कार्य करते हैं ,उसका भविष्य में क्या परिणाम होगा -ऐसा विचार करना भी वर्तमान ठीक करने के लिए हैं। 

ध्यान दें

ध्यान दें 






अहंकार से मानव में वे सारे लक्षण आ जाते हैं ,जिससे वह अप्रिय बन जाता हैं। फिर भी वह यह सोचता नही है। अगर आप ईमानदारी से यह विचार मंथन करें लें कि मैं कहाँ गलत हूँ और तुरंत सुधार कर लें, तो ज्यादा समय नही लगेगा, सबके दिल में आप फिर सेअपनी जगह बना लेंगे।जो व्यवहार आपको पसंद नहीं है वह व्यवहार आप दूसरों के साथ करके केसे सोच सकते है कि सब आपको पसंद करेंगे।ध्यान दें।
।।जय श्री राधे।।





शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

subhashit vichar(shubh vichar/auspicious views)













परमात्मा गुणों के सागर हैं। यदि आप किसी विकार की अग्नि में जल रहें हैं ,तो उस सागर में डुबकी लगाइये। 

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