/ google.com, pub-1197897201210220, DIRECT, f08c47fec0942fa0 "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: हम प्रभु के भेंजें हुए सुन्दर पुष्प है

यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 20 अगस्त 2020

हम प्रभु के भेंजें हुए सुन्दर पुष्प है


                  हम प्रभु के भेंजें हुए सुन्दर पुष्प है


हमारा सौभाग्य है कि प्रभु की इस पुष्प वाटिका में हमने जन्म
लिया। उन को प्रसन्न करने के लिए हम एक पुष्प की तरह खिले और उन्हें अर्पण हो जाएं। इष्ट देव को प्रसन्न करना ही प्राणी का कर्तव्य है। जिस प्रकार से आपका मन प्रसन्न रहें, वैसे ही कीजिए। स्वंय प्रभु सत्य दया क्षमा के समुंद्र है तो हमको भी प्राणियों के साथ सत्य व्यवहार करना चाहिए। सब के साथ दयामय  व्यवहार ही कर्तव्य है ।किसी के अपराध पर हम उसे क्षमा कर दें तो प्रभु प्रसन्न होंगे।क्षमा करने में भगवान पृथ्वी से भी अधिक हैं पृथ्वी माता के ऊपर हम अनेक अपराध करते हैं, पर वह सब सहन करती हैं। हमको भी दूसरों के अपराध पर रुष्ट ना होकर क्षमा ही करना चाहिए। यह प्रभु को प्रसन्न करने का साधन है। बदला लेने की इच्छा से फिर जन्म लेना पड़ता है।भजन करने के लिए जन्म लेना अच्छा है, बदला चुकाने के लिए जन्म लेना अच्छा नहीं है। किसी का ऋण रह गया तो उसे चुकाने के लिए पशु बनना पड़ेगा। कष्ट होगा ,सत्संग, भजन सेवा के लिए बार-बार जन्म लेना अच्छा है।
जय श्री राधे जय श्री राधे
 भक्तमाल दादा गुरु के श्री मुख से परमार्थ के पत्र पुष्प में से

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

रवि पंचक जाके नहीं , ताहि चतुर्थी नाहिं। का अर्थ

  गोस्वामी तुलसीदासजी ने एक बड़े मजे की बात कही है - कृपया बहुत ध्यान से पढ़े एवं इन लाइनों का भावार्थ समझने की कोशिश करे- " रवि पंचक जा...