/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: श्री कृष्ण ही जगतगुरु हैं।

यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

श्री कृष्ण ही जगतगुरु हैं।

             परमार्थ के पत्र पुष्प- भगवान श्री कृष्ण ही जगतगुरु है।




भगवान श्री कृष्ण जगद्गुरु हैं। जहां-जहां से हितकारी उपदेश प्राप्त होते हैं वे सब गुरु तत्व है। श्री कृष्ण ही सब गुरुओं में व्याप्त होकर फिर उपदेश देते हैं। प्रत्येक श्रद्धालु शिष्य का गुरु श्री कृष्ण का स्वरुप है। सर्वत्र उपदेशक श्री कृष्ण ही है। सर्वत्र गुरु तत्व श्री कृष्ण ही हैं। इस प्रकार श्री कृष्ण और गुरुदेव एक है इनमें अभेद है।'संत सबै गुरुदेव हैं व्यासहिं यह परतीति।' हरिराम जी व्यास कहते हैं कि मुझे यह विश्वास है भक्त संत गुरुदेव हैं। 'संत भगवंत अन्तर निरंतर नहीं किमपि मती विमल कह दास तुलसी।।' विमल बुद्धि से विचार कर श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि 'संत और भगवंत में नाम मात्र का भी अंतर नहीं है। इस प्रकार भक्तमाल का दिव्य सत्य सिद्धांत ही सत्य है कि( संत )भक्त, भक्ति, भगवंत, गुरु यह चारों एक है इनमें कोई अंतर नहीं है। इनके चरण कमल की वंदना करने से सभी प्रकार के विघ्नों का नाश होता है। यह समझ में आ जाय, इस सिद्धांत में विश्वास हो जाए तो कल्याण है। इससे ही शांति, भक्ति की प्राप्ति होती है। श्री भक्तमाल का, श्री गुरुदेव भगवान का यह वाक्य हमारे लिए मान्य है कि बिना भक्तमाल भक्ति रूप अती दूर है।' संत संग में भक्तमाल ही प्रधान है। भक्तमाल में भागवत, रामायण आदि के सारांश आ जाते हैं।
।।श्री सीताराम।।
दादागुरु भक्तमाली श्री गणेश दासजी के श्री मुख से।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

भक्ति का क्या प्रभाव होता है?

                        भक्ति का क्या प्रभाव होता है? एक गृहस्थ कुमार भक्त थे। एक संत ने उन्हें नाम दिया वे भजन करने लगे, सीधे सरल चित् में ...