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गुरुवार, 8 अगस्त 2013

सुभाषित विचार

सुभाषित विचार




भगवान ने मनुष्य शरीर दिया हैं तो साथ में विवेक रूपी गुरु भी दिया हैं। इसलिए आपका गुरु आपके साथ हैं। यह वहम हैं कि गुरु होगा तो ज्ञान देगा। गुरु ज्ञान देता नहीं हैं अपितु आप में जो ज्ञान हैं उसे जाग्रत करता हैं।  

                                         सीमा के भीतर असीम प्रकाश                                    


प्रश्न-श्रोता -संसार में जो कुछ हो रहा हैं ,भगवान की मर्जी  से हो रहा हैं;अत: हम जो भी कार्य करते हैं,भगवान की मर्जी से करते हैं। इसलिए हमे पाप पुण्य नहीं लगने चाहिये।



स्वामीजी - एक करना होता हैं ,एक होना होता हैं। ये दो अलग -अलग विभाग हैं ज़ेसे ,आप व्यापार  करते हैं ,पर नफा-नुकसान आप करते नहीं बल्कि नफा -नुकसान हो जाता हैं। करना मनुष्य के हाथ में हैं ,होना भगवान के हाथ में  हैं। भगवान करते हैं अथवा करवाते हैं ,यह बात हैं ही नहीं। यदि ऐसा होता तो गुरु ,शास्त्र,शिक्षा ,उपदेश सब निर्थक होते।  अत: भगवान की मर्जी से होता हैं ,भगवान करते नहीं हैं। 
करने का पाप लगता हैं ,होने का पाप-पुण्य नहीं लगता। भगवान पाप नहीं कराते अपितु कामना ही पाप कराती हैं। भोगो की इच्छा के कारण ही मनुष्य पाप अन्याय करता हैं।  




बुधवार, 7 अगस्त 2013

कलयुग किसके लिए खराब होता है?

सीमा के भीतर असीम प्रकाश 



आजकल मैं एक संत श्री रामसुखदास जी की पुस्तक सीमा के भीतर असीम प्रकाश पढ़ रहीं हूँ  मुझे अच्छी लगी और मैं चाहती हूँ आप सब के साथ इन अनमोल वचनों को शेयर करूँ।   
सबसे कीमती धन हैं समय।  समय लगाने से धन मिलता हैं ,परन्तु धन लगाने से समय नहीं मिलता।  अगर धन लगाने से समय मिलता तो धनी  आदमी नहीं मरते ;क्योंकि पैसे देकर वे अपनी उम्र खरीद लेते।  परन्तु ६० वर्षो में जो धन कमाया हैं ,उसके बदले ६० मिनट भी समय नहीं मिलता।  ऐसे अमूल्य समय को भगवान के भजन में और संसार की सेवा में लगाना चाहिए, नहीं तो सब समय चला जाएगा और मिलेगा कुछ नहीं। जो भगवान के भजन में समय लगाते हैं ,वहीँ चतुर आदमी हैं। दूसरे का धन लेने में और दूसरे का मन खीचने में तो वेश्या भी चतुर होती हैं। 

विचार करें ,आज दिन तक जितना समय चला गया ,उसमे हमने अध्यात्मिक उन्नति कितनी की हैं ?इसमें लोग कलयुग को दोष देते हैं ,पर वास्तव में कलयुग उनके लिए खराब हैं ,जो भजन नहीं करते। भजन करने वालो के लिए कलयुग बहुत लाभदायक हैं। ॐ 

शुभ विचार

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मनुष्य में जो विशेषता  आती हैं ,वह भगवान से ही आती हैं। अगर भगवान में विशेषता न होती तो मनुष्य में  केसे आती।  जो विशेषता बीज में नहीं होंगी ,तो वृक्ष में केसे आएगी।  



यदि कोई सिर्फ और सिर्फ मुझको देखता है और मेरी लीलाओं को सुनता है और खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जायेगा.



शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

                                          घरेलू नुस्खे                                    



क्रोध भगाएँ

anger
appleदो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर खाने से गुस्सा शान्त होता है। पन्द्रह दिन लगातार खायें। थाली बर्तन फैंकने वाला और पत्नि और बच्चों को मारने पीटने वाला क्रोधी भी क्रोध से मुक्ति पा सकेगा।
जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क दुर्बल हो गये हो और जिन विद्यार्थियों को पाठ  याद नहीं रहता हो तो इसके सेवन से थोड़े ही दिनों में दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। साथ ही दुर्बल मस्तिष्क के कारण सर्दी-जुकाम बना रहता हो, वह भी मिट जाता है।

आपका कल्याण तभी संभव है।

कल्याण 


भक्त वह है जो भगवान का हो गया है ,जिसका सब कुछ भगवान के समर्पण हो गया हैं।  ऐसा भक्त ही मुक्त पुरुष हैं ;क्योंकि जब तक अविद्या विद्यमान रहती हैं ,तब तक मनुष्य भगवान का न होकर संसार का -संसार के भोगो का गुलाम रहता हैं;  वह मुक्त नहीं है और जो ऐसा हैं ,वह सब कुछ भगवान  के अर्पण करके भगवान का हो नहीं सकता।  इसलिए जो भक्त होता हैं ,वह अविद्या से -अज्ञान से मुक्त होकर भगवान की महिमा को जानने वाला होता है।  

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जब तक आप  प्रयत्न  करना  बंद न कर दें ,अंतिम  परिणाम  घोषित  नहीं  किया  जा सकता ।  



वृक्ष अपने सिर पर  गर्मी  सह लेता हैं  परन्तु अपनी छाया  से औरों  को गर्मी से बचाता  हैं।  



सावधान रहिए  आपकी प्रत्येक अभिव्यक्ति  क्रिया की प्रतिक्रिया होती है।  

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