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बुधवार, 31 जुलाई 2019

(बिल्वाष्टकम्) शिव जी को बिल्वपत्र (बेल का पत्ता)अर्पण करते समय बोलने वाला मंत्र

                                 बिल्वाष्टकम्
 यह महीना सावन का है। इन दिनों भगवान शिव जी की पूजा का विशेष महत्व होता है और बिल्वपत्र यानी बेल का पत्ता भगवान शिव को बहुत प्रिय है ।बेलपत्र को अर्पण करते समय बिल्वाष्टकम् मंत्र को बोला जाता है।
   
त्रिदलं  त्रिगुणाकारं त्रिनेत्र ं च त्रयायुधम ।
 त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्र ं शिवार्पणम्।।
 तीन दलवाला ,सत्त्व,रज एवं तमःस्वरूप,सूर्य,चन्द्र तथा अग्नि-त्रिनेत्रस्वरूप और आयुधत्रय स्वरूप ,तथा तीनोजन्मो के पापो को नष्ट करने वाला बिल्वपत्र मै भगवान शिव के लिये समर्पित करता हूँ।।१।।

   त्रिशाखैर्बिल्वपत्र ेश्च ह्मच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः।
शिवपूजां करिष्यामि बिल्वपत्रेणं शिवार्पणम्।।
 छिद्र रहित ,सुकोमल, तीन पत्ते वाले ,मंगल प्रदान करने वाले बिल्वपत्र से मैं भगवान शिव की पूजा करूंगा। यह बेलपत्र शिव को समर्पित करता हूं।

अखंडबिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे ।
शुद्धयन्ति सर्वपापेभ्यो बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।३।।
अखंड बिल्व पत्र से नंदीकेश्वर भगवान की पूजा करने पर मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर शुद्ध हो जाते हैं। मैं बिल्वपत्र शिव को समर्पित करता हूं।

शालग्रामशिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत्।
सोमयज्ञमहापुण्यं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।४।।
 मेरे द्वारा किया गया भगवान शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण ,कदाचित ब्राह्मणों को शालिग्राम की शिला के समान तथा सोम यज्ञ के अनुष्ठान के समान महान पुण्य शाली हो। अतः मैं बिल्वपत्र भगवान शिव को समर्पित करता हूं।

दन्तिकोटिसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च।
कोटिकन्यामहादानं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।५।।
मेरे द्वारा किया गया भगवान शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण ,हजारों करोड़ गजदान, सैकड़ों वाजपेय यज्ञ के अनुष्ठान तथा करोड़ों कन्याओं के महादान के समान हो। अतः मैं बिल्वपत्र भगवान शिव को समर्पित करता हूं।

लक्ष्म्याः स्तन्त उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम्।
बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्।।६।।
विष्णु -प्रिया भगवती लक्ष्मी के वक्षः स्थल से प्रादुर्भूत तथा महादेव जी के अत्यंत प्रिय बिल्व को मैं समर्पित करता हूं। यह बिल्वपत्र भगवान शिव को समर्पित है।

दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्।
अघोरपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।७।।
बिल्ववृक्ष का दर्शन और उसका स्पर्श समस्त पापों को नष्ट करने वाला तथा शिव अपराध का संहार करने वाला है। यह बिल्वपत्र भगवान शिव को समर्पित है।

मुलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे।
अग्रतःशिवरूपाय बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।८।।
बिल्व पत्र का मूल भाग ब्रह्म रूप, मध्य भाग विष्णु रूप एवं अग्रभाग शिव रूप है ,ऐसा बिल्वपत्र भगवान शिव को समर्पित है।
बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
सर्वपापविनिर्मुक्तः शिवलोकमवाप्नुयात्।।९।।
जो भगवान शिव के समीप इस पुण्य प्रदान करने वाले बिलवाष्टक  का पाठ करता है वह समस्त पापों से मुक्त होकर अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है।
 ।।इस प्रकार बिलवाष्टक  संपूर्ण हुआ।।


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जय श्री राधे

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