/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्त्रोत हिंदी में

यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 31 जुलाई 2019

श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्त्रोत हिंदी में

                 श्री कृष्णा कृपा कटाक्ष स्त्रोत हिंदी में

 भावार्थ - बृज मंडल के भूषण तथा समस्त पापों के नाश करने वाले सच्चे भक्तों के चित्त में बिहार करने वाले आनंद देने वाले नंद नंदन का मैं सर्वदा भजन करता हूं। जिनके मस्तक पर मनोहर मोर पंखों के गुच्छे हैं ,जिनके हाथों में सुरीली मुरली है तथा जो प्रेम तरंगों के समुद्र है उन नटनगर श्री कृष्ण भगवान को मैं नमस्कार करता हूं।

 भावार्थ - कामदेव का गर्व नष्ट करने वाले, बड़े-बड़े चंचल लोचनो वाले ,ग्वाल बालों का शोक नष्ट करने वाले, कमल लोचन को मेरा नमस्कार है ।कर कमल पर गोवर्धन पर्वत धारण करने वाले ,मुस्कान युक्त सुंदर चितवन वाले, इंद्र का मान मर्दन करने वाले ,गजराज के सदृश मत्त श्री कृष्ण भगवान को मेरा नमस्कार है।

 भावार्थ- कदंब पुष्पों के कुंडल धारण करने वाले ,अत्यंत सुंदर गोल कपोल वाले ,ब्रिजांगनाओ के लिए ऐसे परम दुर्लभ श्री कृष्ण भगवान को मेरा नमस्कार है। ग्वाल बाल और श्री नंद राय जी के सहित मोदमयी मैया यशोदा जी को आनंद देने वाले श्री गोप नायक को मेरा नमस्कार है ।

भावार्थ - मेंरे हृदय में सदा अपने चरण कमलों को स्थापन करने वाले, सुंदर घूंगराली अलको वाले ,नंदलाल को मैं नमस्कार करता हूं ।समस्त दोषों को भस्म कर देने वाले, समस्त लोकों का पालन करने वाले, समस्त गोप कुमारो के हृदय तथा श्री नंद राय जी की वात्सल्य लालसा के आधार श्री कृष्ण को मेरा नमस्कार है ।

भावार्थ - भूमि का भार उतारने वाले ,भवसागर से तारने वाले ,कर्णधार श्री यशोदा किशोर चितचोर को मेरा नमस्कार है। कमनीय कटाक्ष चलाने की कला में प्रवीण ,सर्वदा दिव्य सखियों से सेवित ,नित्य नए-नए प्रतीत होने वाले नंदलाल को मेरा नमस्कार है ।

भावार्थ - गुणों की खान और आनंद की निधान कृपा करने वाले तथा कृपा पर (अथार्त कृपा करने के लिए तत्पर )देवताओं के शत्रुओं का नाश करने वाले गोप नंदन को मेरा नमस्कार है। नवीन गोप सखा, नटवर, नवीन खेल खेलने के लिए लालायित, घनश्याम अंग वाले बिजली सदृश्य सुंदर पितांबर धारी कृष्ण भगवान को मेरा नमस्कार है।

 भावार्थ- समस्त गोपों को आनंदित करने वाले हृदय कमल को प्रफुल्लित करने वाले निकुंज के बीच में विराजमान प्रसन्नमन सूर्य के समान प्रकाशमान श्री कृष्ण भगवान को मेरा नमस्कार है ।संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाले, वाणों के समान चोट करने वाली चित्वन वाले, मधुर मुरली में गीत गाने वाले, निकुंज नायक को नमस्कार करता हूं ।

भावार्थ- चतुर गोपीकाओं की मनोज्ञ पलकों पर शयन करने वाले, कुंज वन में बढीं हुई वह अग्नि को पान करने वाले तथा श्री वृषभानु किशोरी की अंग कांति से जिनके अंग झलक रहे हैं ,जिनके नेत्रों में अंजन शोभा दे रहा है। गजराज को मोक्ष देने वाले तथा श्री जी के साथ बिहार करने वाले श्री कृष्ण चंद्र भगवान को मेरा नमस्कार है।
 भावार्थ-  जहां कहीं भी जैसी परिस्थिति में मैं रहूं, सदा श्री कृष्ण चंद्र की सरस कथाओं का मेरे द्वारा सर्वदा गान होता रहे बस ऐसी कृपा रहे ।श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्त्रोत तथा श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत इन दोनों सिद्ध स्त्रोतों को जो प्रात :काल उठकर भक्ति भाव में स्थित होकर नित्य पाठ करते हैं, उनको ही साक्षात श्री कृष्णचंद्र मिलते हैं।
।। जय श्री राधे।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

भक्ति का क्या प्रभाव होता है?

                        भक्ति का क्या प्रभाव होता है? एक गृहस्थ कुमार भक्त थे। एक संत ने उन्हें नाम दिया वे भजन करने लगे, सीधे सरल चित् में ...