> परमात्मा और जीवन"ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: एसा न हो फिर देर हो जाऐ

यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 5 अक्टूबर 2019

एसा न हो फिर देर हो जाऐ

                       ऐसा न हो फिर देर हो जाऐ



जब सारे शरीर की शक्ति क्षीण हो जाती है, उसका चलना फिरना, उठना बैठना --- सब दूभर हो जाता है । खटिया पर पड़े पड़े वह पश्चाताप करता रहता है कि हाय - हाय सारा जीवन बेकार चला गया । अब उसे ईश्वर का ध्यान आता है, उनसे प्रार्थना करता है, किंतु तब तक तो बहुत देर हो चुकी होती है ----
इतने पर भी करुणा वरुणालय प्रभू उस पर कृपा कर कहते है ---- वत्स! अभी भी कुछ नही बिगड़ा है, तुम्हारी जिभ्हा अभी भी काम कर रही है, तुम चाहो तो अभी भी  लोक - परलोक बना सकते हो ।
इसलिये तुम " नारायण " नाम रुपी अमृत का निरंतर पान करो ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

लघु गीता अध्याय 7

                              लघु गीता अध्याय 7 सैकंडों में कोई एक बिरला ही होता है जो सही तरह से सिद्धि प्राप्त करता है। पृथ्वी, जल, वायु, ...