साधना सफल कैसे होती ?
साधनाऐं देवी-देवताओं की, मन्त्र, तंत्र की जो कर्मकांडों एवं अनुष्ठानों के साथ की जाती है, पर साधनाएँ साधक की आत्मिक स्थिति के अनुसार ही सफल होती हैं।
श्रद्धा और विश्वास , साहस और धैर्य, एकाग्रता और स्थिरता, दृढ़ता और संकल्प ही वे तत्व हैं, जिनके आधार पर यह साधनाएँ सफल होती है।
यदि साधक का संकल्प दुर्बल हो, श्रद्धा और विश्वास ढीलें हों, चित्त अस्थिर और अधीर रहे तो विधि-विधान सही होते हुए भी सही परिणाम नहीं मिलता।
सच तो यह है कि आत्मा के अंतरंग प्रदेश में ही उन अदृश्य दैवी-शक्तियों का निवास होता है जो हमें कहीं बाहर रहती दिखती है।
जय श्री राधे
साधनाऐं देवी-देवताओं की, मन्त्र, तंत्र की जो कर्मकांडों एवं अनुष्ठानों के साथ की जाती है, पर साधनाएँ साधक की आत्मिक स्थिति के अनुसार ही सफल होती हैं।
श्रद्धा और विश्वास , साहस और धैर्य, एकाग्रता और स्थिरता, दृढ़ता और संकल्प ही वे तत्व हैं, जिनके आधार पर यह साधनाएँ सफल होती है।
यदि साधक का संकल्प दुर्बल हो, श्रद्धा और विश्वास ढीलें हों, चित्त अस्थिर और अधीर रहे तो विधि-विधान सही होते हुए भी सही परिणाम नहीं मिलता।
सच तो यह है कि आत्मा के अंतरंग प्रदेश में ही उन अदृश्य दैवी-शक्तियों का निवास होता है जो हमें कहीं बाहर रहती दिखती है।
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