यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

त्रिपुरारिसिरधामिनी (गंगा जी का यह नाम कैसे पडा़

                            त्रिपुरारिसिरधामिनी( शिव के मस्तक में निवास करने वाली)


जब महाराज भगीरथ ने ब्रह्मलोक से गंगा जी को प्राप्त कर लिया,तब यह कठिनाई सामने आई कि यदि गंगा जी की धारा वहां से सीधे भूलोक पर गिरेगी तो उससे भूलोक जलमग्न हो जाएगा। इसलिए उन्होंने भव भय हारी भगवान शंकर की स्तुति की और शंकर जी ने ब्रह्मलोक से अवतरित होती हुई गंगा की धारा को, अपनी जटा जाल में रोक लिया। इसी से श्री गंगा जी को त्रिपुरारी (शिव )के मस्तक में निवास करने वाली कहा जाता है।

2 टिप्‍पणियां:

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

कलयुग के दोषों से बचा जा सकता है।

                कलयुग के दोषों से बचा जा सकता है। राम नाम का आश्रय लेने वाले ही कलयुग के दोषों से बचते हैं अन्यथा बड़े से बडा भी कोई बच नहीं...