/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: राम नाम की शक्ति क्या होती हैं

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मंगलवार, 30 जनवरी 2024

राम नाम की शक्ति क्या होती हैं

                    राम नाम की शक्ति क्या होती हैं


जब प्रभु राम जी को समुद्र देवता ने बतलाया, कि हे भगवन् आपकी ही सेना में नल और नील नाम का दो बानर है जो पुल निर्माण करने में अति कुशल है।आप उन दोंनों की सहायता से सेतु का निर्माण कराकर लंका तक आसानी से पहुँच जायेंगें। तब राम जी ने दोनों को बुलाकर सेतु निर्माण का आदेश दिया और सभी बानर पत्थर उठा उठकर लाने लगे। ,हनुमान जी उन पत्थरों पर राम राम लिखते जाते और नल तथा नील उसे ले जाकर समुद्र में गिराते जाते। इस प्रकार जो भी पत्थर समुद्र में गया सभी के सभी एक दुसरे से जुड़कर उपलाते हुए सेतु के रूप में बँधते रहे।सेतु निर्माण कार्य बहुत द्रुत गति से सुचारू रूप से चल रहा था।प्रभु राम को शाम की वेला में सेतु बंधन कार्य की प्रगति के बारे में बता दिया गया।हनुमान ने बताया कि भगवन ,सभी पत्थरें आपका नाम लिखकर समुद्र में डालने पर वे सभी आपस में जुड़कर सेतु के रूप में हो जा रहे हैं। इस प्रकार सेतु निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।

परन्तु ज्यों ज्यों रात होती गयी प्रभु राम जी की बैचेनी बढ़ती गयी।उन्हें आश्चर्य हो रहा था ,कि ऐसा कैसे हो सकता है। परन्तु अपनी आशंका किसी पर प्रकट न होने दी और बीते रात चुपके से उठे और कुटिया से निकल कर पहरे दारों की नजरों से बचते बचाते समुद्र किनारे पहुँच गये।

उन्होंने एक पत्थर उठाया और समुद्र में गिरा दिया। पत्थर समुद्र में डुब गया।

फि एक पत्थर लिया और उसपर अपना नाम "राम" लिखकर समुद्र में गिराया तो वह तैरने लगा। यह देख राम जी प्रभु को बड़ा आश्चर्य हुआ। तभी हनुमान जी वहाँ प्रकट हो गये और मुस्कुराते हुए बोला," देख लिया भगवन ,आपमें और आपके नाम में से किसमें कितना सामर्थ्य हैं।

हनुमान को अचानक वहाँ पाकर और उनकी बात सुनकर भगवान राम सकपका गये।फिर आगे हनुमान जी ने कहा, "प्रभु ,आप जिसे छोड़ देंगें उसको तो डुबना ही पड़ेगा। हाँ,जिसे आपके नाम तक का भी सहारा मिल जायेगा, वह तो इस भव सागर से पार हो ही जायेगा।

तब श्री राम जी ने हनुमान से कहा," तुम ठीक कहते हो हनुमान। भबिष्य में खासकर कलियुग में तो इस नाम का अत्यधिक प्रभाव होगा।उस समय केवल मेरा नाम ही ऐसा आधार होगा जिसको लेकर भक्तजन संसार रूपी भवसागर से तर जायेंगें। यह सुनकर हनुमान ने अपना मस्तक प्रभु चरणों में झुका दिया और भगवान राम जी ने हनुमान को उठाकर अपने सीने से लगा लिया ।

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जय श्री राधे

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