/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: गीता के दसवें अध्याय का सरल अर्थ

यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

गीता के दसवें अध्याय का सरल अर्थ

           गीता के दसवें अध्याय का सरल अर्थ

मनुष्य के पास चिंतन करने की जो शक्ति है उसको भगवान  के चिंतन में ही लगाना चाहिए। संसार में जिस किसी में, जहां कहीं विलक्षणता, विशेषता, मेहत्ता, अलौकिकता, सुंदरता आदि दिखती है, उसमें वह खिंचता है,वह विलक्षणता आदि सब वास्तव में भगवान ही है। अतः वहां भगवान का ही चिंतन होना चाहिए। उस वस्तु, व्यक्ति आदि का नहीं। यही विभूतियों के वर्णन का तात्पर्य है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

हमारा सफर - श्री राम से श्री कृष्ण और कलयुग में

  हमारा सफर - श्री राम से श्री कृष्ण और कलयुग में भी जारी श्री राम का घर छोड़ना एक षड्यंत्रों में घिरे राजकुमार की करुण कथा है और कृष्ण का घ...