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बुधवार, 24 जनवरी 2024

भगवान राम के प्रसिद्ध नाम

                     भगवान राम के प्रसिद्ध नाम


आदिराम - नित्य, स्वयंभू, शाश्वत सनातन अनंतराम, सर्वशक्तिमान परमात्मा जो सभी के सृजनकर्ता, पालनहार है

राम - मनभावन, रमणीय, सुंदर, आनंददायक

प्राणीमात्र के हृदय में 'रमण' (निवास, विहार) करते हैं, वह 'राम' हैं तथा भक्तजन जिनमें 'रमण' (ध्याननिष्ठ) होते हैं, वह 'राम' हैं

रामलला - शिशु रुप राम

रामचंद्र - चंद्र जैसे शीतल एवं मनोहर राम

रामभद्र - मंगलकारी कल्याणमय राम

राघव - रघुवंश के संस्थापक राजा रघु के वंशज, रघुवंशी, रघुनाथ, रघुनंदन

रघुवीर - रघुकुल के सबसे वीर राजा राम

रामेश्वर - राम जिनके ईश्वर है अथवा जो राम के ईश्वर है

कौशल्या नंदन - कौशल्या को आनंद देने वाले, कौशल्या पुत्र, कौशलेय

दशरथी - दशरथ पुत्र, दशरथ नंदन

जानकीवल्लभ - जनकपुत्री सीता के प्रियतम

श्रीपति - लक्ष्मी स्वरूपा सीता के स्वामी जानकीनाथ, सीतापति

मर्यादा पुरुषोत्तम - धर्मनिष्ठ न्याय परायण पुरुषों में सर्वोत्तम 

नारायणावतार - भगवान नारायण के अवतार, विष्णु स्वरूप

जगन्नाथ - जगत के स्वामी, जगतपति

हरि - पाप, ताप को हरने वाले

जनार्दन - जो सभी जीवों का मूल निवास और रक्षक है

कमलनयन - कमल के समान नेत्रों वाले, राजीवलोचन

हनुमान ह्रदयवासी -  हनुमान के ह्रदय में वास करने वाले, हनुमानइष्ट, हनुमान आराध्य

शिव आराध्य - शिव निरंतर जिनका स्मरण करते हैं, शिवइष्ट, शिवप्रिय, शिव ह्रदयवासी

दशाननारि - दस शीश वाले रावण का वध करने वाले, रावणारि, दशग्रीव शिरोहर

असुरारि - असुरों का वध करने वाले

जगद्गुरु - अपने आदर्श चरित्र से सम्पूर्ण जगत् को शिक्षा देने वाले

सत्यव्रत - सत्य का दृढ़ता पूर्वक पालन करनेवाले

परेश - परम ईश्वर, सर्वोच्च आत्मा, सर्वोत्कृष्ट शासक

अवधेश - अवध के राजा या स्वामी

अविराज - सूर्य जैसे उज्जवल

सदाजैत्र - सदा विजयी, अजेय

जितामित्र - शत्रुओं को जीतनेवाला

महाभाग -  महान सौभाग्यशाली

कोदंड धनुर्धर - कोदंड धनुष को धारण करने वाले

पिनाक खण्डक - सीता स्वयंवर में पिनाक (शिवधनुष) को खंडित करने वाले

मायामानुषचारित्र - अपनी माया का आश्रय लेकर मनुष्यों जैसी लीलाएँ करने वाले

त्रिलोकरक्षक - तीनों लोकों की रक्षा करने वाले

धर्मरक्षक - धर्म की रक्षा करने वाले

सर्वदेवाधिदेव - सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता

सर्वदेवस्तुत - सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं

सर्वयज्ञाधिप - सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी

व्रतफल - सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने योग्य फलस्वरूप

शरण्यत्राणतत्पर - शरणागतों की रक्षा में तत्पर

पुराणपुरुषोत्तम  - पुराणप्रसिद्ध क्षर-अक्षर पुरुषों से श्रेष्ठ लीलापुरुषोत्तम

सच्चिदानन्दविग्रह - सत्, चित् और आनन्द के स्वरूप का निर्देश कराने वाले

परं ज्योति -  परम प्रकाशमय,परम ज्ञानमय

परात्पर पर - इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि से भी परे परमेश्वर

पुण्यचारित्रकीर्तन - जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र हैं

सप्ततालप्रभेता - सात ताल वृक्षों को एक ही बाण से बींध डालनेवाले

भवबन्धैकभेषज - संसार बन्धन से मुक्त करने के लिये एकमात्र औषधरूप

 जय सियाराम 

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जय श्री राधे

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