/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: भगवान राम के प्रसिद्ध नाम और उनके अर्थ

यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 27 जनवरी 2024

भगवान राम के प्रसिद्ध नाम और उनके अर्थ

          भगवान राम के प्रसिद्ध नाम और उनके अर्थ


आदिराम - नित्य, स्वयंभू, शाश्वत सनातन अनंतराम, सर्वशक्तिमान परमात्मा जो सभी के सृजनकर्ता, पालनहार है

राम - मनभावन, रमणीय, सुंदर, आनंददायक

प्राणीमात्र के हृदय में 'रमण' (निवास, विहार) करते हैं, वह 'राम' हैं तथा भक्तजन जिनमें 'रमण' (ध्याननिष्ठ) होते हैं, वह 'राम' हैं

रामलला - शिशु रुप राम

रामचंद्र - चंद्र जैसे शीतल एवं मनोहर राम

रामभद्र - मंगलकारी कल्याणमय राम

राघव - रघुवंश के संस्थापक राजा रघु के वंशज, रघुवंशी, रघुनाथ, रघुनंदन

रघुवीर - रघुकुल के सबसे वीर राजा राम

रामेश्वर - राम जिनके ईश्वर है अथवा जो राम के ईश्वर है

कौशल्या नंदन - कौशल्या को आनंद देने वाले, कौशल्या पुत्र, कौशलेय

दशरथी - दशरथ पुत्र, दशरथ नंदन

जानकीवल्लभ - जनकपुत्री सीता के प्रियतम

श्रीपति - लक्ष्मी स्वरूपा सीता के स्वामी जानकीनाथ, सीतापति

मर्यादा पुरुषोत्तम - धर्मनिष्ठ न्याय परायण पुरुषों में सर्वोत्तम 

नारायणावतार - भगवान नारायण के अवतार, विष्णु स्वरूप

जगन्नाथ - जगत के स्वामी, जगतपति

हरि - पाप, ताप को हरने वाले

जनार्दन - जो सभी जीवों का मूल निवास और रक्षक है

कमलनयन - कमल के समान नेत्रों वाले, राजीवलोचन

हनुमान ह्रदयवासी -  हनुमान के ह्रदय में वास करने वाले, हनुमानइष्ट, हनुमान आराध्य

शिव आराध्य - शिव निरंतर जिनका स्मरण करते हैं, शिवइष्ट, शिवप्रिय, शिव ह्रदयवासी

दशाननारि - दस शीश वाले रावण का वध करने वाले, रावणारि, दशग्रीव शिरोहर

असुरारि - असुरों का वध करने वाले

जगद्गुरु - अपने आदर्श चरित्र से सम्पूर्ण जगत् को शिक्षा देने वाले

सत्यव्रत - सत्य का दृढ़ता पूर्वक पालन करनेवाले

परेश - परम ईश्वर, सर्वोच्च आत्मा, सर्वोत्कृष्ट शासक

अवधेश - अवध के राजा या स्वामी

अविराज - सूर्य जैसे उज्जवल

सदाजैत्र - सदा विजयी, अजेय

जितामित्र - शत्रुओं को जीतनेवाला

महाभाग -  महान सौभाग्यशाली

कोदंड धनुर्धर - कोदंड धनुष को धारण करने वाले

पिनाक खण्डक - सीता स्वयंवर में पिनाक (शिवधनुष) को खंडित करने वाले

मायामानुषचारित्र - अपनी माया का आश्रय लेकर मनुष्यों जैसी लीलाएँ करने वाले

त्रिलोकरक्षक - तीनों लोकों की रक्षा करने वाले

धर्मरक्षक - धर्म की रक्षा करने वाले

सर्वदेवाधिदेव - सम्पूर्ण देवताओं के भी अधिदेवता

सर्वदेवस्तुत - सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं

सर्वयज्ञाधिप - सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी

व्रतफल - सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने योग्य फलस्वरूप

शरण्यत्राणतत्पर - शरणागतों की रक्षा में तत्पर

पुराणपुरुषोत्तम  - पुराणप्रसिद्ध क्षर-अक्षर पुरुषों से श्रेष्ठ लीलापुरुषोत्तम

सच्चिदानन्दविग्रह - सत्, चित् और आनन्द के स्वरूप का निर्देश कराने वाले

परं ज्योति -  परम प्रकाशमय,परम ज्ञानमय

परात्पर पर - इन्द्रिय, मन, बुद्धि आदि से भी परे परमेश्वर

पुण्यचारित्रकीर्तन - जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र हैं

सप्ततालप्रभेता - सात ताल वृक्षों को एक ही बाण से बींध डालनेवाले

भवबन्धैकभेषज - संसार बन्धन से मुक्त करने के लिये एकमात्र औषधरूप

।।जय सियाराम।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अगर आपको मेरी post अच्छी लगें तो comment जरूर दीजिए
जय श्री राधे

Featured Post

हमारा सफर - श्री राम से श्री कृष्ण और कलयुग में

  हमारा सफर - श्री राम से श्री कृष्ण और कलयुग में भी जारी श्री राम का घर छोड़ना एक षड्यंत्रों में घिरे राजकुमार की करुण कथा है और कृष्ण का घ...