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मंगलवार, 13 अगस्त 2013

सत्संग से लाभ

                       सीमा के भीतर असीम प्रकाश                                            



प्रशन -पूर्ण ज्ञानी की क्या पहचान हैं ?

स्वामी जी -अज्ञानी की पहचान तो हो सकती हैं ,पर ज्ञानी की पहचान होना कठिन हैं। कारण कि ज्ञानी की स्थिति स्वसंवेद्य  होती हैं। वह आप ही अपने को जानता हैं ,दूसरा उसको नहीं जान सकता। दूसरा केवल इतना जान सकता हैं कि वह अच्छे आदमी हैं।   

प्रश्न -असली सत्संग की क्या पहचान हैं ?

स्वामी जी -असली  सत्संग की यह पहचान हैं की बिना पूछे हमारी शंकाओ  का समाधान हो जाए। जो हमसे कभी कुछ नहीं चाहते ,चाहे वर्षो तक रात-दिन उनका सत्संग करे। जिस सत्संग से अपना संदेह दूर हो जाता हैं। ज्यों -ज्यों सत्संग करेगें ,त्यों -त्यों आपके संदेह दूर होते जाएगें। ऐसा सत्संग मिलने से लाभ जरुर होता हैं। असली उत्कंठा हो तो पाखंडी आदमी से भी लाभ हो जाता हैं,फिर असली संत मिल जाए तो फिर कहना ही क्या हैं। 

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हम समझते कम, समझाते ज्यादा हैं ,इसलिए सुलझते कम ,उलझते ज्यादा हैं। 





जब आप जीवन में सफल होतें हैं ,तो आपके दोस्तों को पता चलता हैं कि आप कौन है ;
जब आप जीवन में असफल होतें हैं ,तो आपको पता चलता हैं कि आपके दोस्त कौन थे। 











गुरुवार, 8 अगस्त 2013

घरेलू नुस्खे 


वज़न घटाने के घरेलू नुस्‍खे


 हरे सलाद से वज़न कम 
टमाटर और पुदीने की पत्ती युक्त सलाद खाने से शरीर में वसा की मात्रा कम होती है
 पानी से मोटापे पर नियंत्रण
शरीर को अपने कार्य को ठीक प्रकार से करने के लिए खूब पानी की जरूरत होती है। इससे आपका शरीर भी ठीक रहता है और पानी पीने से मोटापे पर भी नियंत्रण रखता है
 गरम पानी से मोटापे पर नियंत्रण
हर बार खाना खाने के बाद गरम पानी पीयें इससे पाचन तंत्र ठीक प्रकार से काम करता है और शरीर मै मौजूद अतिरिक्त वज़न कम होता है
 हरी चाय या अदरक की चाय पीने से मोटापा नियंत्रित
हरी चाय या अदरक की चाय पीने से मोटापा नियंत्रित होता है। इसलिए दिन में एक बार हरी चाय या अदरक की चाय ज़रूर पीयें

टमाटर से मोटापा नियंत्रित
सुबह एक टमाटर खाने से कालेस्ट्राल का लेवल ठीक रहता है और शरीर में मौजूद वसा भी कम होती है
 गडूची से वसा नियंत्रित
मोटापे को नियंत्रित करने के लिए गडूची एक प्रभावित तरीका है। इससे शरीर मे मौजूद वसा कम होती है
 एलोवेरा खाकर वज़न नियंत्रित
एलोवेरा के पत्तों के सेवन से वज़न नियंत्रित होता है। इसलिए एलोवेरा का सेवन रोज़ करना चाहिए। 
 सेब साइडर सिरके से वज़न नियंत्रित
सेब साइडर सिरके के सेवन से वज़न नियंत्रित होता है

सुभाषित विचार

सुभाषित विचार




भगवान ने मनुष्य शरीर दिया हैं तो साथ में विवेक रूपी गुरु भी दिया हैं। इसलिए आपका गुरु आपके साथ हैं। यह वहम हैं कि गुरु होगा तो ज्ञान देगा। गुरु ज्ञान देता नहीं हैं अपितु आप में जो ज्ञान हैं उसे जाग्रत करता हैं।  

                                         सीमा के भीतर असीम प्रकाश                                    


प्रश्न-श्रोता -संसार में जो कुछ हो रहा हैं ,भगवान की मर्जी  से हो रहा हैं;अत: हम जो भी कार्य करते हैं,भगवान की मर्जी से करते हैं। इसलिए हमे पाप पुण्य नहीं लगने चाहिये।



स्वामीजी - एक करना होता हैं ,एक होना होता हैं। ये दो अलग -अलग विभाग हैं ज़ेसे ,आप व्यापार  करते हैं ,पर नफा-नुकसान आप करते नहीं बल्कि नफा -नुकसान हो जाता हैं। करना मनुष्य के हाथ में हैं ,होना भगवान के हाथ में  हैं। भगवान करते हैं अथवा करवाते हैं ,यह बात हैं ही नहीं। यदि ऐसा होता तो गुरु ,शास्त्र,शिक्षा ,उपदेश सब निर्थक होते।  अत: भगवान की मर्जी से होता हैं ,भगवान करते नहीं हैं। 
करने का पाप लगता हैं ,होने का पाप-पुण्य नहीं लगता। भगवान पाप नहीं कराते अपितु कामना ही पाप कराती हैं। भोगो की इच्छा के कारण ही मनुष्य पाप अन्याय करता हैं।  




बुधवार, 7 अगस्त 2013

कलयुग किसके लिए खराब होता है?

सीमा के भीतर असीम प्रकाश 



आजकल मैं एक संत श्री रामसुखदास जी की पुस्तक सीमा के भीतर असीम प्रकाश पढ़ रहीं हूँ  मुझे अच्छी लगी और मैं चाहती हूँ आप सब के साथ इन अनमोल वचनों को शेयर करूँ।   
सबसे कीमती धन हैं समय।  समय लगाने से धन मिलता हैं ,परन्तु धन लगाने से समय नहीं मिलता।  अगर धन लगाने से समय मिलता तो धनी  आदमी नहीं मरते ;क्योंकि पैसे देकर वे अपनी उम्र खरीद लेते।  परन्तु ६० वर्षो में जो धन कमाया हैं ,उसके बदले ६० मिनट भी समय नहीं मिलता।  ऐसे अमूल्य समय को भगवान के भजन में और संसार की सेवा में लगाना चाहिए, नहीं तो सब समय चला जाएगा और मिलेगा कुछ नहीं। जो भगवान के भजन में समय लगाते हैं ,वहीँ चतुर आदमी हैं। दूसरे का धन लेने में और दूसरे का मन खीचने में तो वेश्या भी चतुर होती हैं। 

विचार करें ,आज दिन तक जितना समय चला गया ,उसमे हमने अध्यात्मिक उन्नति कितनी की हैं ?इसमें लोग कलयुग को दोष देते हैं ,पर वास्तव में कलयुग उनके लिए खराब हैं ,जो भजन नहीं करते। भजन करने वालो के लिए कलयुग बहुत लाभदायक हैं। ॐ 

शुभ विचार

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मनुष्य में जो विशेषता  आती हैं ,वह भगवान से ही आती हैं। अगर भगवान में विशेषता न होती तो मनुष्य में  केसे आती।  जो विशेषता बीज में नहीं होंगी ,तो वृक्ष में केसे आएगी।  



यदि कोई सिर्फ और सिर्फ मुझको देखता है और मेरी लीलाओं को सुनता है और खुद को सिर्फ मुझमें समर्पित करता है तो वह भगवान तक पंहुच जायेगा.



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