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शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

मन की उलझन



एक बड़ी उलझन 


यदि तुममे सम्पूर्ण आस्था हैं ,तब कोई प्रश्न नहीं .यदि तुममे आस्था नहीं हैं , तो प्रश्न पूछने की कोई जरुरत नहीं , क्योंकि उसके उत्तर में तुम्हे आस्था कैसे होगी ?

उलझन - और उन प्रश्नो का क्या जो हम आपसे सम्पूर्ण आस्था से पूछते हैं ? 

उत्तर - अगर ईश्वर में तुम्हारी आस्था हैं , जब तुम जानते हो कोई तुम्हारी देख - रेख कर रहा हैं , तो फिर प्रश्न पूछने की क्या आव श्यकता हैं ? यदि तुम बेंगलोर जाने के लिए कर्नाटक एक्सप्रेस में बैठे हो , तो क्या हर स्टेशन पर यह पूछने की जरूरत हैं की यह रेलगाड़ी कहाँ जा रही हैं ?
और जब तुम्हारे पास कोई हैं जो तुम्हारी इच्छाओ का ध्यान रख रहा हैं तो ज्योतिषी के पास जाना ही क्यों हैं ?
उलझन - अंधी आस्था ( ब्लाइंड फेथ ) क्या हैं ? 
उत्तर - आस्था आस्था हैं ..... अंधी हो ही नहीं सकती .जिसे तुम अँधा कहते हो वह आस्था नहीं हैं .
अंधेपन और आस्था का कोई मेल नहीं .जब तुम आस्था खो देते हो तो , तब तुम अंधे हो जाते हो .

मंगलवार, 9 सितंबर 2014

Kalyan

कल्याण 






भजन में श्रद्धा करो। यह विश्वास करो कि भजन से ही सब कुछ होगा। भजन के बिना न संसार के कलेश मिटेंगे ,न विषयो से वैराग्य होगा ,न भगवान के  प्रभाव का महत्व समझ में आएगा और न परम श्रद्धा ही होगी ,सच्ची बात तो यह हैं कि जब तक भगवान की प्राप्ति नहीं होगी ,तब तक क्लेशो का पूर्ण रूप से नाश नहीं होगा। 
भगवान की प्राप्ति के इस कार्य में जरा भी देर नहीं करनी चाहिए। ऐसा मत सोचो कि अमुक कार्य हो जाए तब भगवान का भजन करूँगा। यह तो मन का धोखा हैं। सम्भव हैं तुम्हारी वैसी स्थिति हो ही नहीं ,हो सकता हैं कि फिर कोई और स्थिति उत्पन्न हो जाए जो आपको भजन करने ही न दे। इससे अभी जिस स्थिति में हो उसी में भजन कर लो। 

एक संत का भजन हैं जो मुझे बहुत अच्छा लगता हैं -अब न बनी तो फिर न बनेगी ,नर तन बार -बार नहीं मिलता। 

संत के विचार साधना करने के लिए क्या करना पड़ेगा

संत -उदबोधन 
(ब्रह्मलीन श्रद्धेय स्वामी श्रीशरणान्दजी महराज)




साधक को अपने प्रति ,जगत के प्रति ,प्रभु के प्रति क्या कर्तव्य हैं जिसका पालन करना चाहिए। अपने प्रति हमारा कर्तव्य यह हैं कि हम अपने को बुरा न बनाए ,जगत के प्रति कर्तव्य हैं कि हम जगत को बुरा न समझे और प्रभु के प्रति कर्तव्य हैं की हम उनको अपना माने। 
हम तीनो में से एक भी नहीं करते ,फिर चाहते हैं साधक होना। तो यह नहीं हो सकता। प्रभु की चीज को अपना मानते हैं पर प्रभु को नहीं मानते। 
इसलिए त्याग द्वारा जीवन अपने लिए ,सेवा द्वारा जीवन जगत के लिए ,तथा प्रेम द्वारा जीवन भगवान के लिए उपयोगी हो जाता हैं। 
आप स्वीकार करिये कि प्रभु मेरे हैं ,इससे जीवन प्रभु के लिए उपयोगी सिद्ध हो जाएगा। सेवा का व्रत ले लीजिए तो जीवन जगत के लिए उपयोगी हो जाएगा। जब किसी से कोई चाह नहीं रहेगी तो जीवन अपने लिए उपयोगी हो जाएगा। 
कल्याण 


भगवत्कृपा  प्रश्नोत्तर 

(स्वामी रामसुखदास जी के द्वारा प्रश्नों के उत्तर वह प्रश्न जो हमारे मन में उठा करते हैं)

प्रश्न -अगर हमने विश्वास कर लिया की भगवान दयालु हैं ,फिर?

उत्तर -फिर इस विश्वास को पक्का कीजिए ,इसका अभ्यास करना होगा कि भगवान के प्रत्येक कार्य में दया भरी हैं। चाहे वह कष्ट कारी ही क्यों न हो। 

प्रशन -कष्ट में भी भगवान की दया कैसे हो सकती हैं ?
उत्तर - जब माता हमे रगड़ -रगड़ कर नहलाती हैं तो हमे कष्ट होता हैं ,परन्तु माँ हमारे मैल को दूर करने के लिए ही ऐसा करती हैं। इसी प्रकार ईश्वर हमे कष्ट के द्वारा ही हमारे मन रूपी मैल को दूर करता हैं। जैसे माँ प्रेम मयी हैं, वैसे ही ईश्वर का हृदय भी प्रेम से भरा होता हैं। 

भगवान को न मानो, लकिन भगवान की आज्ञा को मानो तब भी वह प्रसन्न रहते हैं। उनकी आज्ञा हैं कि किसी से घृणा नहीं करो,  राग द्वेष को छोड़ना ही भगवान की आज्ञा हैं। जो रागद्वेष छोड़ देता हैं ईश्वर उसे शांति देते हैं ,यह सोचकर कि वह मुझे नहीं मानता ,उसकी शांति को कम नहीं करते। और अगर आज्ञा पालन की शक्ति नहीं हैं और भगवान को मानते हो तब भी वह आपको अपनी शरण में ले लेता हैँ. 

गुरुवार, 4 सितंबर 2014

रक्ताल्पता या खून की कमी (ANAEMIA ) -



हमारे खून में दो तरह की कोशिका होती हैं -लाल व सफ़ेद | लाल रक्त

 कोशिका की कमी से शरीर में खून की कमी हो जाती है जिसे रक्ताल्पता 

या अनीमिया कहा जाता है | लाल रक्त कोशिका के लिए लौहतत्व (iron)

 आवश्यक है अतः हमारे हीमोग्लोबिन में लौह तत्व की कमी के कारण 

भी रक्ताल्पता होती है | 

रक्ताल्पता या खून की कमी होने से शरीर में कमज़ोरी उत्पन्न होना,काम 


में मन नहीं लगना,भूख न लगना,चेहरे की चमक ख़त्म होना,शरीर थका-

थका लगना आदि इस रोग के मुख्य लक्षण हैं | स्त्रियों में खून की कमी के

 कारण 'मासिक धर्म' समय से नहीं होता है | खून की कमी बच्चों में हो 

जाने से बच्चे शारीरिक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं जिसके कारण उनका

 विकास नहीं हो पाता तथा दिमाग कमज़ोर होने के कारण याद्दाश्त पर 

भी असर पढता है | इस वजह से बच्चे पढाई में पिछड़ने लगते हैं | 

आइये जानते हैं रक्ताल्पता के कुछ उपचार -



१- खून की कमी को दूर करने के लिए,अनार के रस में थोड़ी सी काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है |

२- मेथी,पालक और बथुआ आदि का प्रतिदिन सेवन करने से खून की कमी दूर हो जाती है | मेथी की सब्ज़ी खाने से भी बहुत लाभ होता है क्यूंकि मेथी में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है |

३- गिलोय का रस सेवन करने से खून की कमी दूर हो जाती है | आप यह अपने निकटवर्ती पतंजलि चिकित्सालय से प्राप्त कर सकते हैं |

४- रक्ताल्पता से पीड़ित रोगियों को २०० मिली गाजर के रस में १०० मिली पालक का रस मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है |

५- प्रतिदिन लगभग २००-२५० ग्राम पपीते के सेवन से खून की कमी दूर होती है | यह प्रयोग लगभग बीस दिन तक लगातार करना चाहिए |

६- दो टमाटर काट कर उस पर काली मिर्च और सेंधा नमक डालकर सेवन करना रक्ताल्पता में बहुत लाभकारी होता है |

७- उबले हुए काले चनों के प्रतिदिन सेवन से भी बहुत लाभ होता है |

८- गुड़ में भी लौह तत्व प्रचुर मात्रा में होता है अतः भोजन के बाद एक डली गुड़ अवश्य खाएं लाभ होगा |
कल्याण 


भगवत्कृपा  प्रश्नोत्तर 
स्वामी रामसुखदास जी के द्वारा प्रश्नों के उत्तर वह प्रश्न जो हमारे मन में उठा करते हैं)

प्रशन-शास्त्र भगवान को परम दयालु और सर्वभूतों का सुहृदय कहते हैं 
;किन्तु संसार में प्रत्यक्ष देखा गया हैं कि बहुत से कष्ट हैं और जीव दुःखी हैं। इससे तो भगवान की निष्ठुरता सिद्ध होती हैं ,वे दयालु कैसे ?

उत्तर -एक बालक देखता हैं कि किसी को फोड़ा हुआ हैं और डॉक्टर उसे चीर रहा हैं। बीमार आदमी बुरी तरह से चिल्लाता हैं ,यहाँ तक कि डॉक्टर को गालियाँ भी दे रहा हैं। बालक जाकर दुसरो से कहता हैं कि डॉक्टर साहब बहुत निष्ठुर हैं ;तो क्या डॉक्टर साहिब सचमुच में निष्ठुर हैं ?उनका उद्देश्य तो बीमार आदमी को निरोग करना हैं और फोड़ा अच्छा होने के बाद बीमार आदमी भी उनको दयालु मानकर उनका धन्यवाद करता हैं। 
अज्ञानवश हमलोग भी असली तत्व को न जानने के कारण इसी बालक की तरह भगवन को निष्ठुर कहते हैं। 

प्रशन-किन्तु हम तो बालक नहीं हैं ?
उत्तर -जब हम लोगो में अज्ञानता हैं ,तब हम बालक नहीं तो और क्या हुएं ?

प्रशन -मान लिया संसार के दुःख कष्ट फोड़े के सामान हैं ,लकिन भगवान फोड़ा पैदा  ही क्यों करता हैं ?अगर फोड़ा न हो तो चीरने की भी जरूरत न पड़े। 

उत्तर -इसी प्रश्न में अज्ञानता भरी पड़ी हैं। कोई व्यक्ति गणित से बिलकुल अनभिज्ञ हैं ,अगर पूछे einstein  की theory  of relativity क्या हैं और कैसे आया ,तो उसको क्या समझाया जाए ?उससे यही कहना पड़ेगा ,भाई पहले इसको समझने के योग्य बनो ,फिर प्रश्न करना। अभी तुम्हारे समझ में नहीं आएगा। आपने जो प्रश्न किया हैं ,कि भगवन फोड़ा क्यों पैदा करते हैं ?इसका उत्तर समझने के लिए आपमें पहले योग्यता होनी चाहिए। 

प्रशन - समझा कि मैं अभी भगवान की दया समझने के योग्य नहीं बना ,तो कैसे योग्य बनू ?

उत्तर -विश्वास कीजिये ,कि भगवान दयालु हैं। आपने english पढ़ी हैं न। जब आपको सिखाया गया कि यह A हैं ,यह B हैं तो आपको थोड़ी कठिनता महसूस हुई होगी। परन्तु आपको teacher  पर विश्वास था। आप सोचते होंगे की जब मास्टर साहिब कह रहे हैं तो यह A ही हैं। अगर आप उस समय अकड़ जाते कि यह A नहीं हैं। तो क्या सीखते ?विश्वास ही शिक्षा या उन्नति का मूल हैं आप विश्वास नहीं करेंगे तो कैसे काम चलेगा। 

प्रश्न -अगर यह विश्वास पक्का कर ले  कि भगवान नहीं हैं तो क्या होगा ?
उत्तर -ऐसा पक्का विश्वास हो ही नहीं सकता कि ईश्वर नहीं हैं। जो लोग ईश्वर को नहीं मानते वह भी दिल पर हाथ रखकर यह विचारे तो मालूम होगा की कभी न कभी किसी अदृश्य शक्ति को उन्होंने महसूस किया होगा। प्रत्येक जीव भगवन का अंश हैं भगवान को छोड़कर उसे कही और शांति नहीं मिल सकती। 
।।राम।।



गुरुवार, 21 अगस्त 2014

कान का दर्द -

गर्मियों में कान के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में संक्रमण होना आम बात 

है| अधिकतर तैराकों को ख़ास-तौर पर इस परेशानी का सामना करना 

पड़ता है | कान में फुंसी निकलने,पानी भरने या किसी प्रकार की चोट 

लगने की वजह से दर्द होने लगता है | कान में दर्द होने के कारण रोगी हर 
समय तड़पता रहता है तथा ठीक से सो भी नहीं पाता| बच्चों के लिए कान 
का दर्द अधिक पीड़ा भरा होता है | लगातार जुक़ाम रहने से भी कान का दर्द हो जाता है |
आज हम आपको कान के दर्द के लिए कुछ घरेलू उपचार बताएंगे -

१- तुलसी के पत्तों का रस निकाल लें| कान में दर्द या मवाद होने पर रस को गर्म करके कुछ दिन तक लगातार डालने से आराम मिलता है |

२- लगभग १० मिली सरसों के तेल में ३ ग्राम हींग डाल कर गर्म कर लें | इस तेल की १-१ बूँद कान में डालने से कफ के कारण पैदा हुआ कान का दर्द ठीक हो जाता है |

३- कान में दर्द होने पर गेंदे के फूल की पंखुड़ियों का रस निकालकर कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है |

४- तिल के तेल में लहसुन की काली डालकर गर्म करें,जब लहसुन जल जाए तो यह तेल छानकर शीशी में भर लें | इस तेल की कुछ बूँदें कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है |

५- अलसी के तेल को गुनगुना करके कान में १-२ बूँद डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है |

६- बीस ग्राम शुध्द घी में बीस ग्राम कपूर डालकर गर्म कर लें | अच्छी तरह पकने के बाद ,ठंडा करके शीशी में भरकर रख लें | इसकी कुछ बूँद कान में डालने से दर्द में आराम मिलता है |

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