/ google.com, pub-1197897201210220, DIRECT, f08c47fec0942fa0 "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: भक्ति करने से भक्तों को क्या लाभ मिलता है

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सोमवार, 16 जुलाई 2018

भक्ति करने से भक्तों को क्या लाभ मिलता है

                                भक्ति की महिमा


एक गृहस्थ कुम्हार भक्त था। एक संत ने उन्हें नाम दिया वह भजन करने लगे  सीधे सरल स्वभाव में भक्ति प्रकट हो गई अपने घर का काम करते हुए , भजन करते हुए वह सिद्ध हो गए, पर उन्हें पता ही नहीं कि मुझ में कुछ प्रभाव है। उन के समीप जो भी कोई जिस कामना से आता, उस की कामना पूर्ण हो जाती, उसका कष्ट मिट जाता। धीरे-धीरे उसकी प्रसिद्धि हो गई। गांव के राजा ने सुना तो वह फल फूल लेकर आया दर्शन कर भेट दे कर उन के समीप बैठे राजा ने पूछा भक्ति की क्या महिमा है। भक्त कुमार ने कहा राजन मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं अतः शास्त्रों का मुझे ज्ञान नहीं है पर अपने प्रत्यक्ष अनुभव की बात बतलाता हूं मैं मिट्टी के बर्तन बनाता हूं। व मेरी स्त्री व बच्चे भी इसी काम में लगे रहते हैं, मिट्टी में मिलाने के लिए घोड़े की लीद की जरूरत पड़ती है। घोड़े के लीद से खाद भी नहीं बनती, सुखाकर उसे जलाने के काम में भी नहीं लाया जाता है, आपके बहुत से घोड़े हैं। ढेरों लीद पड़ी रहती है। मेरी बीवी, बच्चों उ से उठाने जाते हैं, तो आप के नौकर  गाली देते हैं कभी-कभी बच्चों को मारते हैं, इतने पर भी हमारे बच्चे लेने जाते हैं । मार गाली सहकर भी लेकर आते हैं  क्योंकि उसके बिना हमारा काम नहीं चलता है। अब आप ही देखें मुझ जैसे तुच्छ व्यक्ति के घर आप स्वयं आए हैं और मुझे प्रणाम करके भेट दे रहे हैं , ऐसा क्यों विचार कर देखें तो यह भक्ति का प्रभाव है उसके प्रभाव से नीच ऊँचा हो जाता है, वंदनीय हो जाता है। अभक्तो का व भक्तों का अंतर, आदर, अनादर इसी से समझ लीजिए कि भक्ति की कितनी महिमा है  राजा बहुत प्रभावित हुआ। शास्त्रों के ज्ञाता भी तर्क और अविश्वासों में फंस जाते हैं। उन्हें सरल श्रद्धा और भावुकता प्राप्त नहीं होती, इसी से सच्ची भक्ति का प्राकट्य नहीं होता। 

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जय श्री राधे

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