श्री नरसिंह स्तुति
(इस मंत्र का नित्य जप करने से शत्रु का नाश होता है व दुष्ट की दुष्टता खत्म हो जाती है,)
स्वस्त्यस्तु विश्वस्य खल: प्रसीदतां ध्यायन्तु भुतानि शिवं मिथो धिया।
मनश्च भद्रं भजतादधोक्षजे आवेश्यतां नो मतिरप्यहैतुकी॥
अथार्त्- समग्र विश्व का कल्याण हो, दुष्ट भी प्रसन्न हो जाएं (दुष्टों की दुष्टता समाप्त होकर उनमें साधुता का उदय हो, क्योंकि जब तक वह दुष्टता की आग में जलते रहेंगे तब तक प्रसन्न कैसे रह सकते हैं?) सभी प्राणी परस्पर एक दूसरे के कल्याण का चिंतन करें। हमारा मन शुभ संकल्प करने वाला हो और हे इंद्रियातीत भगवान नृसिंह! हमारी निष्काम बुद्धि निरंतर आप में ही लगी रहे।
अगर आप संस्कृत में इसका जाप नहीं कर सकते, तो आप हिंदी में अनुवाद के द्वारा भी स्तुतिं भी कर सकते हैं। आपकी भाषा कोई भी हो ईश्वर सब समझ जाते हैं इसलिए केवल हृदय से प्रार्थना कीजिए।
(इस मंत्र का नित्य जप करने से शत्रु का नाश होता है व दुष्ट की दुष्टता खत्म हो जाती है,)
स्वस्त्यस्तु विश्वस्य खल: प्रसीदतां ध्यायन्तु भुतानि शिवं मिथो धिया।
मनश्च भद्रं भजतादधोक्षजे आवेश्यतां नो मतिरप्यहैतुकी॥
अथार्त्- समग्र विश्व का कल्याण हो, दुष्ट भी प्रसन्न हो जाएं (दुष्टों की दुष्टता समाप्त होकर उनमें साधुता का उदय हो, क्योंकि जब तक वह दुष्टता की आग में जलते रहेंगे तब तक प्रसन्न कैसे रह सकते हैं?) सभी प्राणी परस्पर एक दूसरे के कल्याण का चिंतन करें। हमारा मन शुभ संकल्प करने वाला हो और हे इंद्रियातीत भगवान नृसिंह! हमारी निष्काम बुद्धि निरंतर आप में ही लगी रहे।
अगर आप संस्कृत में इसका जाप नहीं कर सकते, तो आप हिंदी में अनुवाद के द्वारा भी स्तुतिं भी कर सकते हैं। आपकी भाषा कोई भी हो ईश्वर सब समझ जाते हैं इसलिए केवल हृदय से प्रार्थना कीजिए।
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जय श्री राधे