/ google.com, pub-1197897201210220, DIRECT, f08c47fec0942fa0 "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव

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शुक्रवार, 13 जुलाई 2018


संसार के सभी प्राणियों में परमात्मा सूक्ष्म रुप से विराजमान है अतः किसी भी प्राणी का अपमान ईश्वर का अपमान है प्राणियों का सम्मान ईश्वर पूजा है। पिता माता आदि का , गुरुजनों का अपमान उनके वध के समान है। अपने मुंह अपनी बड़ाई करना आत्महत्या के समान है । अपने द्वारा हुए गुणों का वर्णन तथा अपनी प्रशंसा आत्महत्या के समान है। अपने शरीर के आराम के लिए अत्यधिक धन का, समय का खर्च नहीं करना चाहिए। संसारी कामों में आमदनी के अनुसार खर्च करना चाहिए। अपने से छोटों को शिक्षा देने के लिए अपने आचरण को सुधारना चाहिए। जब तक मन प्रभु में तल्लीन हो ना हो जाए, तब तक अपने कर्म को करते रहना चाहिए कर्म करने का उद्देश्य प्रभु की प्रसन्नता ही होनी चाहिए जिस प्रकार प्रभु प्रसन्न हो, वही कार्य करना चाहिए। भगवान के अनुकूल रहेंगे तो भगवान हमारे अनुकूल रहेंगे      
जय श्री राधे



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जय श्री राधे

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