/ "ईश्वर के साथ हमारा संबंध: सरल ज्ञान और अनुभव: भजन करने से ही राम जी की कृपा प्राप्त होती है।

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गुरुवार, 16 अगस्त 2018

भजन करने से ही राम जी की कृपा प्राप्त होती है।

             
          भजन करने से ही प्रभु कृपा प्राप्त होती है।
मन कर्म वचन छाँडि चतुराई। भजन कृपा करिहै रघुराई।।

मन ,वाणी और कर्म से कपट का त्याग करके जो भजन करते हैं ,उन पर अवश्य ही श्री राम जी की कृपा होती है। अलौकिक कामनाएं ,जिनका प्रभु भजन से कोई संबंध नहीं है  केवल संसारी लोगों से ही संबंध है। ऐसी कामनाओं से भजन करना, कपट पूर्ण भजन है। निष्काम भाव से  जिनसे भजन में सहायता मिलती है। जिनसे परोपकार होता है। ऐसी कामनाएं रखकर भजन करना  चतुराई को छोड़कर भजन करना है। खाने ,पीने ,रहने की सुविधा,लौकिक प्रतिष्ठा की प्राप्ति , ईश्वर की कृपा का उत्तम फल नहीं है। बुद्धि की पवित्रता, नाम- रूप लीला -धाम का आश्रय, सत्संग में, भक्त भावनाओं में, प्रेम की प्राप्ति भगवान की कृपा को उत्तम फल है। शरीर, परिवार, संपत्ति जो कुछ भी प्रभु ने दिया है, उसमें संतुष्ट रहना, नौकरी खेती ,व्यापार आदि को ईश्वर की प्रसन्नता के लिए करना ।भगवान का भजन है। भगवान का भजन करने में आलस्य का त्याग करना चाहिए ,भगवान की कृपा सब पर रहे  परस्पर सद्भावना हो,
 जय श्री सीताराम (प दादा गुरु जी महाराज वृंदावन

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जय श्री राधे

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